मोटर दुर्घटनाओं का दावा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून का उल्लंघन दुर्घटना में हुई लापरवाही का कारण नहीं हो सकता
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोटर दुर्घटना मामलों में दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए, कानून का उल्लंघन, बिना किसी अन्य वस्तु के, स्वयं दुर्घटना का कारण रही लापरवाही का पता नहीं लगा सकता है।
जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि उल्लंघन और दुर्घटना के बीच कारण बताने वाला संबंध होना चाहिए या उल्लंघन और पीड़ित पर दुर्घटना के प्रभाव के बीच एक कारण बताने वाला संबंध होना चाहिए।
इस मामले में, मृतक और एक अन्य व्यक्ति मोटर साइकिल पर पीछे बैठकर सवारी के रूप में यात्रा कर रहे थे।
एक कार ने मोटरसाइकिल को पीछे से टक्कर मार दी। हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्घटना कार की तेज और लापरवाही से भरी ड्राइविंग के कारण हुई थी, लेकिन यह भी कहा कि मोटरसाइकिल पर 3 व्यक्ति बैठे थे, जिससे मोटरसाइकिल असंतुलित भी हो सकती थी, इसलिए मृतक की ओर से भी उस वाहन की भी लापरवाही थी, जिस पर वह सवार था।
हालांकि हाईकोर्ट के दृष्टिकोण से असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि यह तथ्य कि मृतक चालक और एक अन्य के साथ मोटरसाइकिल पर सवार था, खुद ही, बिना किसी अन्य वस्तु के, उसे दुर्घटना की जिम्मेदार लापरवाही का दोषी बना सकता है।
इसमें यह तथ्य जोड़ा गया कि एक व्यक्ति मोटर साइकिल पर ड्राइवर और एक अन्य व्यक्ति के साथ सवार था, कानून का उल्लंघन हो सकता है।
कोर्ट ने कहा-
लेकिन खुद इस तरह के उल्लंघन, बिना किसी अन्य कारण के, दुर्घटाना की जिम्मेदारी लापरवाही का पता नहीं लगा सकते हैं, जब तक कि यह स्थापित नहीं हो जाता है कि दो अन्य लोगों के साथ सवारी करने का उसका कार्य या तो दुर्घटना कारण बना में या पीड़ित पर दुर्घटना के प्रभाव का कारण बना है।
उल्लंघन और दुर्घटना के बीच एक कारण बताने वालासंबंध होना चाहिए या पीड़ित पर दुर्घटना के प्रभाव और उल्लंघन के बीच एक कारण बताने वाला संबंध होना चाहिए।
ऐसा कई बार हो सकता है कि, अगर पीड़ित द्वारा कानून का उल्लंघन नहीं किया गया होता, दुर्घटना टाली जा सकती थी या चोटों को कम किया जा सकता था। जो एक साधारण चोट हो सकती थी, वो पीड़ित व्यक्ति द्वारा कानून के उल्लंघन के कारण एक गंभीर चोट या मौत कारण हो सकती है।
कोर्ट ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था कि मृतक की ओर से की गई गलती ने दुर्घटना में या चोटों में कोई योगदान दिया।
कोर्ट ने कहा-
यह बीमाकर्ता का मामला नहीं है कि मोटर साइकिल पर सवार तीन व्यक्तियों के कारण दुर्घटना स्वयं हुई। बीमाकर्ता का यह भी मामला नहीं है कि अगर तीन व्यक्ति मोटर साइकिल पर सवार नहीं होते तो दुर्घटना को टाला जा सकता था। तथ्य यह है कि मोटर साइकिल को कार ने पीछे से धक्का मारा था।
दिलचस्प बात यह है कि ट्रिब्यूनल ने अपनी जांच में पाया है कि मृतक ने हेलमेट पहना हुआ था और कार ने पीछे से मोटरसाइकिल को टक्कर मारी, जिसे वो गिर पड़ा। इसलिए, उच्च न्यायालय का यह फैसला कि मोटरसाइकिल पर पीछे की ओर 2 व्यक्ति सवार थे, जिससे वो असंतुलन हो सकती थी, कुछ भी नहीं है, मात्र अनुमान है और ये रिकॉर्ड, सुबूत या दलील पर आधारित नहीं है।
केस: मोहम्मद सिद्दकी बनाम नेशलन इंश्योरेंश कंपनी लिमिटेड
केस नं : CIVIL APPEAL No.79 OF 2020
कोरम: जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन
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