मोटर एक्सीडेंट क्लेम- आय का कोई निश्चित प्रमाण न होने पर मृतक की सामाजिक स्थिति पर विचार किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-09-04 05:18 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) द्वारा दिए गए उस अवार्ड को बहाल कर दिया, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के मूल्यांकन में हाईकोर्ट द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण पर निराशा व्यक्त की और MACT का फैसले बहाल कर दिया।

कोर्ट ने कहा,

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान प्रकृति के मामले में हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य का आकलन करते हुए मृतक की आय के संबंध में सख्त सबूत की मांग की। वर्तमान प्रकृति के मामले में जहां मुआवजे की मांग की जाती है, वहां आय के निश्चित प्रमाण के अभाव में मृतक की सामाजिक स्थिति को परिप्रेक्ष्य में रखा जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और जिनकी आय काल्पनिक है, ऐसी परिस्थिति में किसी भी क्षेत्र में घटित हुई घटना को ध्यान में रखना आवश्यक है। इस स्थिति में एमएसीटी ने जहां रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों का उल्लेख किया और फिर अपने निष्कर्ष पर पहुंचा, वहां हाईकोर्ट द्वारा साक्ष्यों की पुनः सराहना उसके समक्ष दर्ज मामले की प्रकृति के प्रति संवेदनशील हुए बिना है।''

जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना मामले में दावेदारों के लिए मुआवजे की राशि 11,87,000 रुपये से घटाकर 4,75,000 रुपये कर दी थी।

प्रस्तुत मामला ऐसे व्यक्ति की असामयिक मृत्यु से संबंधित था, जो अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। मृतक की आय से संबंधित साक्ष्य को परखने के विषय में हाईकोर्ट के रवैये ने चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि असंगठित क्षेत्र में मृतक की रोजगार स्थिति के कारण दावेदार व्यापक दस्तावेज सुरक्षित करने में असमर्थ थे।

इस चुनौती के बावजूद, MACT ने मृतक की आय का आकलन करने के प्रयास किए और निष्कर्ष निकाला कि वह दोपहिया वाहन ठीक करने की दुकान में कुशल मैकेनिक के रूप में काम कर रहा था।

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि असंगठित क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों से जुड़े मामलों से निपटते समय उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर उनकी अनुमानित आय पर विचार करना महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि आय के ठोस सबूत के अभाव में भी काल्पनिक आय को ध्यान में रखा जाना चाहिए, खासकर जब दावेदार मृतक व्यक्ति पर आश्रित थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मृतक की आय और जिस दोपहिया वाहन ठीक करने की दुकान में वह काम करता था, उसके स्वामित्व के विस्तृत साक्ष्य मांगने में हाईकोर्ट के दृष्टिकोण की सख्त आलोचना की।

न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि असंगठित क्षेत्र से जुड़े मामलों की प्रकृति में संवेदनशीलता और मृतक की सामाजिक परिस्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता है।

नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट ने 5 मार्च, 2019 को हाईकोर्ट द्वारा जारी फैसला रद्द कर दिया और मूल रूप से 13 मार्च, 2007 को MACT द्वारा दिए गए अवार्ड को बहाल कर दिया। न्यायालय ने बीमा कंपनी को निर्णय प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह के भीतर अवार्ड राशि जमा करने का निर्देश दिया है।

केस टाइटल: कुबरा बीबी बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस

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