"बार के सदस्यों को पूरी तरह अजनबी माना जाता है," एससीबीए ने सीजेआई को ऑडिटोरियम, पार्किंग स्पेस, चैम्बर के उपयोग पर प्रतिबंध के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए पत्र लिखा
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर ऑडिटोरियम (सभागार) के उपयोग विशेष रूप से जस्टिस विनीत सरन की सेवानिवृत्ति के अवसर पर होने वाले आगामी कार्यक्रम के संबंध में बार सदस्यों पर लगाई गई शर्तों के प्रति चिंता व्यक्त की है।
ऑडिटोरियम के उपयोग के संबंध में दिनांक 7 मई, 2022 के कम्यूनिकेशन में लगाई गई शर्तों का उल्लेख करते हुए एससीबीए के प्रेसिडेंट सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा है कि बार के सदस्यों को संस्था के लिए पूरी तरह अजनबी माना जा रहा है, जबकि रजिस्ट्री कर्मचारी वर्ग- lII और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को मालिक के रूप में माना जाता है, इसलिए एसोसिएशन ने इस संबंध में जारी एसओपी को खारिज कर दिया और इसके बजाय सुप्रीम कोर्ट के लॉन में विदाई आयोजित करने का फैसला किया है जब तक कि 'उन्हें उचित सम्मान के साथ ऑडिटोरियम नहीं दिया जाता है, जिसके बार के सदस्य हकदार हैं।
एसओपी में ऑडिटोरियम की क्षमता से केवल 50% सीटों के उपयोग को निर्देशित करने वाले प्रतिबंध के संबंध में पत्र में कहा गया है कि डीडीएमए दिशानिर्देशों के अनुसार, एक ऑडिटोरियम या सिनेमा हॉल में बैठने की कोई प्रतिबंध नहीं है और 100% बैठने की क्षमता की अनुमति है।
एसोसिएशन ने आगे कहा कि इसके चारों ओर खुले क्षेत्र के साथ एक कैंटीन और ऑडिटोरियम के ठीक बगल में एक और बड़ा हॉल होने के बावजूद एसओपी ने कहा है कि स्नैक्स ई-ब्लॉक के कमरे में परोसा जाना चाहिए। यह बताया गया है कि नाश्ते के लिए निर्धारित स्थान उस ब्लॉक से भी सटा हुआ नहीं है जिसमें ऑडिटोरियम स्थित है।
पत्र में 'नए परिसर में प्रवेश करने के इच्छुक बार के सदस्यों के लगातार अपमान' के प्रति भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि सुरक्षा गार्ड द्वारा नई इमारत में जाते समय उनकी कार को भी रोक दिया जाता है, जबकि उनके पास वैध स्टिकर है।
पत्र के माध्यम से एसोसिएशन ने प्रोक्सिमिटी कार्ड के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एसओपी का भी विरोध किया।
पत्र के माध्यम से एसोसिएशन ने प्रोक्सिमिटी कार्ड के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एसओपी का भी विरोध किया। "वैध स्टिकर वाले सदस्यों के लिए विशेष पास देने वाला एसओपी स्वीकार्य नहीं है।
पत्र में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट सिक्योरिटी द्वारा जारी किए गए स्टिकर जो हमारे सदस्यों को मैन बिल्डिंग में प्रवेश करने के लिए आवश्यक हैं, नए परिसर में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।
पत्र में आगे कहा गया है कि बार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में अपनी कारों को पार्क करने में हर दिन परेशानी होती है, लेकिन किसी अज्ञात कारण से एक रजिस्ट्रार अवनि पाल सिंह के कहने पर उक्त पार्किंग उपलब्ध नहीं है। इससे बार के सदस्यों को दैनिक असुविधा होती है।
यह कहा गया कि वकीलों के लिए नई इमारत में अपनी कारों को पार्क करने और सुप्रीम कोर्ट तक चलने के लिए पैदल मार्ग के रूप में पहले से ही एक टनल बनी हुई है, लेकिन न तो पार्किंग की अनुमति दी जा रही है और न ही पैदल मार्ग कार्य कर रहा है।
पत्र के अनुसार तीन साल से अधिक समय से तैयार पड़े चैंबर किसी न किसी कारण इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं और बिना अलॉटमेंट के पड़े हैं। इसके बावजूद एक विशेष आकार के चैंबर बनाने का निर्णय सदस्यों के साथ चर्चा किए बिना लिया गया।
सिंह ने बताया कि उन्होंने स्पष्ट रूप से चैम्बर का एकल आवंटन और जल्द से जल्द क्यूबिकल का निर्माण शुरू करने के लिए स्पष्ट रूप से लिखा था, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।