एमबीबीएस : सुप्रीम कोर्ट ने स्वदेश लौटे अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों को दो प्रयासों में फाइनल परीक्षा पास करने की अनुमति दी

Update: 2023-03-28 12:56 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूक्रेन, चीन, फिलीपींस आदि से स्वदेश लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों की याचिकाओं के एक बैच का निस्तारण, केंद्र की ओर से यह जवाब प्राप्त होने के बाद कर दिया कि एक बार के असाधारण उपाय के रूप में अंतिम वर्ष के छात्रों को किसी भी भारतीय मेडिकल कॉलेज में नामांकित हुए बिना एमबीबीएस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।

अदालत ने केंद्र के सुझाव में एक संशोधन करते हुए ऐसे छात्रों को दो प्रयासों में एमबीबीएस की अंतिम परीक्षा पास करने की अनुमति दी। केंद्र ने एक प्रयास की अनुमति दी थी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ उन मेडिकल छात्रों की दलीलों पर सुनवाई कर रही थी, जो चीन या फिलीपींस में COVID-19 के कारण लगे यात्रा प्रतिबंधों, या रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण विदेश में अपनी शिक्षा पूरी करने में असमर्थ थे। उनकी दलील यह थी कि उन्हें भारतीय चिकित्सा शिक्षा संस्‍थानों में असाधारण, मानवीय उपाय के रूप में समायोजित किया जाए।

पीठ ने पहले केंद्र सरकार से राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के साथ मिलकर इस 'मानवीय समस्या' का समाधान खोजने का आग्रह किया था। इस मुद्दे की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।

मंगलवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि सरकार की ओर से गठित एक समिति ने अंतिम वर्ष के उन मेडिकल स्टूडेंट्स को समायोजित करने का निर्णय लिया है, जिन्हें यूक्रेन या चीन से लौटने पड़ा है और जिन्होंने दूरस्थ रूप से अपनी शिक्षा जारी रखी है।

समिति की सिफारिशें, जिन्हें केंद्र ने स्वीकार किया है, इस प्रकार हैं-

-किसी भी मौजूदा भारतीय कॉलेज में नामांकित हुए बिना एमबीबीएस फाइनल, पार्ट I और पार्ट II की परीक्षाओं (थ्योरी और प्रैक्टिकल) को मौजूदा दिशानिर्देशों के एक वर्ष की अवधि में पास करने का एक मात्र मौका, (छात्र पार्ट I की परीक्षा पास होने और एक वर्ष बीत जाने के बाद ही पार्ट II की परीक्षा देने के पात्र होंगे)।

-थ्योरी परीक्षा भारतीय एमबीबीएस परीक्षा की तर्ज पर केंद्रीय स्तर पर और शारीरिक रूप से आयोजित की जाएगी, जबकि प्रैक्टिकल परीक्षा नामित सरकारी मेडिकल कॉलेजों द्वारा आयोजित की जाएगी, जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

-दो परीक्षाओं को पास करने के बाद दो साल की अनिवार्य रोटेटरी इंटर्नशिप को पूरा करना होगा, जिसमें से पहला साल नि:शुल्क होगा और दूसरे साल का भुगतान होगा, जैसा एनएमसी की ओर से तय किया जाएगा।

यह भी स्पष्ट किया गया कि सिफारिशें एक बारगी, आपातकालीन उपाय हैं और भविष्य के निर्णयों का आधार नहीं हो सकतीं। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि मामलों की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए आदेश पारित किया गया है।


केस टाइटलः अर्चिता व अन्य बनाम राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और अन्य। | रिट याचिका (सिविल) नंबर 607/2022 अन्य संबंधित मामले

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