दिल्ली को जलापूर्ति की यथास्थिति बनाए रखेंः सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार और बीबीएमबी को निर्देश दिए

Update: 2021-03-25 10:06 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को दिल्ली को जल आपूर्ति पर गुरुवार तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।

यह आदेश दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर एक आवेदन पर भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिया गया। दिल्ली जल बोर्ड ने अपने आवेदन में कहा गया था कि पंजाब मरम्मत कार्यों के लिए नहर के कुछ फाटकों को बंद करने जा रहा है, जिससे दिल्ली में पानी की आपूर्ति 25 % कम हो जाएगी।

डीजेबी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मार्च-अप्रैल के दौरान ऐसे मरम्मत कार्य नहीं किए जाने चाहिए, जब गर्मी के कारण पानी की मांग अपने चरम पर हो।

सिंघवी ने कहा कि डीजेबी ने कम से कम छह पत्र पंजाब के अधिकारियों को लिखे और उनसे अनुरोध किया कि वे मरम्मत कार्यों को सर्दियों के लिए स्थगित कर दें, लेकिन उन्होंने पत्रों का जवाब देने का "आधारिक शिष्टाचार" भी नहीं दिखाया।

इस बिंदु पर, पीठ ने गुरुवार तक वापसी योग्य आवेदन पर नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की।

तब, डीजेबी के की ओर से पेश हुए निर्देशन एडवोकेट गौतम नारायण ने पीठ को सूचित किया कि पंजाब प्राधिकरण अभी तक नहर के फाटकों को बंद नहीं कर रहा है, और इसलिए उसने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के लिए प्रार्थना की।

पीठ ने यथास्थिति का आदेश देने पर सहमति जताई और मामले की सुनवाई गुरुवार के लिए टाल दी।

पीठ को आदेश दिया,

"उत्तरदाताओं को दिल्ली में पानी की आपूर्ति के बारे में यथास्थिति बनाए रखने के लिए निर्देशित किया जाता है।"

इस पीठ में जीसेआई के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे।

डीजेबी द्वारा पूर्व में दायर याचिका में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा सरकार यमुना नदी के अनुपचारित अपशिष्टों के निर्वहन की अनुमति दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली को पेयजल आपूर्ति प्रदूषित हो रही है।

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