मजिस्ट्रेट आरोपी की आवाज के नमूने लेने का निर्देश दे सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

Update: 2023-05-25 09:43 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट ने आरोपी को पुलिस को आवाज का नमूना देने के निर्देश देने वाले सत्र न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए हाल ही में कहा कि एक मजिस्ट्रेट के पास जांच ले उद्देश्य के लिए आवाज का नमूना एकत्र करने का आदेश देने की शक्ति है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने रितेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य पर भरोसा करते हुए आगे कहा कि मजिस्ट्रेट के पास ऐसी शक्ति है, "जब तक कि संसद द्वारा सीआरपीसी में स्पष्ट प्रावधान लागू नहीं किए जाते हैं।

अदालत गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गांधीनगर की विशेष अदालत द्वारा 2021 में पारित आदेश को बरकरार रखा गया था। इस आदेश में आरोपी याचिकाकर्ता को भ्रष्टाचार के एक मामले में स्पेक्ट्रोग्राफ परीक्षण के लिए अपनी आवाज के नमूने उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जब तक नियमों को तैयार नहीं किया जाता और आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के प्रावधानों के तहत नियम 2022 के साथ पढ़ा जाता है और तब तक उचित मानक संचालन प्रणाली को अधिसूचित नहीं किया जाता है, आवाज के नमूने का संग्रह "निजता के अधिकार" पर हमला होगा।

न्यायालय ने रितेश सिन्हा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख किया, जहां इसने कहा "... मॉडर्न डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर बनाम मध्य प्रदेश राज्य, गोबिंद बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य और इस न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की खंडपीठ केएस पुट्टास्वामी (निजता 9) बनाम भारत संघ में इस न्यायालय द्वारा दी गई राय के मद्देनजर निजता के मौलिक अधिकार को पूर्ण नहीं माना जा सकता है और उसे सार्वजनिक हित के लिए झुकना चाहिए।

अदालत ने आगे कहा कि रितेश सिन्हा के मामले में दिए गए फैसले से संकेत मिलता है कि, "मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच के उद्देश्य से आवाज के नमूने के संग्रह का आदेश देने की शक्ति दी गई है, जब तक कि संसद द्वारा सीआरपीसी में स्पष्ट प्रावधान नहीं किए जाते हैं। ऐसा निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का आह्वान करके जारी किया गया।

हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायालय ने कहा, "हमें हाईकोर्ट के आक्षेपित फैसले के साथ-साथ विशेष अदालत द्वारा आरोपी को अपराध की जांच की सुविधा के लिए अपनी आवाज का नमूना देने का आदेश देने में कोई कमी नहीं दिखती है।"

केस टाइटल : प्रवीनसिंह नृपतसिंह चौहान बनाम गुजरात राज्य

याचिकाकर्ता के लिए: शमिक शिरीषभाई संजनवाला, एओआर तेजस बारो।

साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एससी) 463

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