लोन पर मोहलत: लोन की 8 श्रेणियों में ब्याज माफी के फैसले को लागू करने के सभी उपाय ‌किए जाएं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश

Update: 2020-11-28 05:57 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोरोनोवायरस महामारी के मद्देनजर आठ निर्दिष्ट श्रेणियों में दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज माफ करने के अपने फैसले को लागू करने के लिए सभी कदम उठाए जाएं।

जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने उन रिट याचिकाओं के एक समूह का निस्तारण किया, जिनमें एक मार्च से 31 अगस्त तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दी गई ऋण स्थगन अवधि में ब्याज माफी की मांग की गई थी।

पीठ ने उल्लेख किया कि भारत सरकार की ओर से दायर 23 अक्टूबर, 2020 के हलफनामे में कहा गया था, -"केंद्र सरकार ने COVID महामारी के मद्देनजर राहत देने के लिए कई नीतिगत फैसले लिए हैं....जिसमें निम्नलिखित उधारकर्ताओं को ब्याज माफी का पात्र घोषित करने का नीतिगत निर्णय भी शामिल है-

(i) 2 करोड़ रुपए तक MSME लोन

(ii) 2 करोड़ रुपए तक शिक्षा लोन

(iii) 2 करोड़ रुपए तक आवास लोन

(iv) 2 करोड़ रुपए तक कंज्यूमर ड्यूरेबल्‍स लोन

(v) 2 करोड़ रुपए तक क्रेडिट कार्ड लोन

(vi) 2 करोड़ रुपए तक रुपए ऑटोमोबाइल लोन।

(vii) 2 करोड़ रुपए तक प्रोफेशनल्स को पर्सनल लोन

(viii) 2 करोड़ रुपए तक उपभोग लोन

पीठ ने कहा, "वर्तमान याचिकाकर्ता का मामला, जिसने आवास लोन लिया है, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, भारत सरकार के निर्णयों के तहज पूरी तरह कवर है, क्योंकि फैसले के तहत 2 करोड़ तक के आवास ऋण को शामिल किया गया है....।"

पीठ ने उल्लेख किया कि योजना निर्दिष्ट ऋण खातों में ( एक मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020) उधारकर्ताओं को छह महीने के लिए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर का एक्स ग्रेश‌िया पेमेंट का अनुदान प्रदान करती है। उपरोक्त सेगमेंट / ऋणों के वर्ग, जिनके ऋण की सीमाएं स्वीकृत सीमाएं हैं और बकाया राशि 2 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है [ऋण संस्थानों के साथ सभी सुविधाओं का कुल योग] 29 फरवरी, 2020 के अनुसार, इस योजना के तहत पात्र होंगे।

पीठ ने कहा, "श्री राजीव दत्ता, याचिकाकर्ता की ओर से पेश विद्वान वकील ने भारत सरकार की ओर से याचिकाकर्ता की शिकायतों के निवारण के लिए किए गए उपायों पर संतुष्टि व्यक्त की है, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है। भारत सरकार ने दिनांक 23 ‌अक्टूबर, 2020 के परिपत्र के अनुसार विशिष्ट उपाय किए हैं, जिसे रिकॉर्ड पर लाया गया है और उसके बाद के उपाय भी किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम उत्तरदाताओं को यह निर्देश देते हुए, वर्तमान रिट याचिका का निस्तारण करते हैं, कि यह सुनिश्चित करें कि दिनांक 23 अक्टूबर 2020 को लिए गए निर्णय को लागू करने के लिए सभी कदम उठाए जाएं...उन लोगों को लाभ दिया जाए, जिनके लिए वित्तीय लाभ की परिकल्पना और विस्तार किया गया है।"

पीठ ने कहा कि COVID -19 ने न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है, बल्कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।

पीठ ने कहा, "आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों के प्रयोग के जर‌िए भारत सरकार द्वारा लागू किए लॉकडाउन के कारण, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र सहित अधिकांश व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कई महीनों तक, बड़े उद्योगों का काम नहीं करने दिया गया। केवल कुछ ही उद्योगों को छूट दी गई.....। हालांकि, धीरे-धीरे, अनलॉक -1, 2 और 3 के कारण, उद्योगों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल किया गया है और देश की अर्थव्यवस्था धीमी गति से, पटरी पर लौट रही है।

पीठ ने इस बात कि सराहना की कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 27 मार्च, 2020 और 23 मई, 2020 के आदेशों के अनुसार अधिस्थगन अवधि एक मार्च 2020 से 31 अगस्‍त, 2020 तक, अर्थात् छह महीने तक जारी रही।

"जैसा कि सॉलिसिटर जनरल द्वारा प्रस्तुत किया गया है और केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामों से परिलक्षित होता है, यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों की कठिनाइयों के बारे में पूरी तरह से जागरूक थी और इस सबंध में वित्त मंत्रालय की ओर से कई उपाय किए गए

पीठ ने नोट किया कि भारत सरकार के दिनांक 23.10.2020 के निर्णय से सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को अवगत कराया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी उक्त संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। भारत संघ की ओर से 17.11.2020 को दायर हलफनामे में कहा गया है: -

"यह प्रस्तुत किया गया है कि पूर्वोक्त योजना के क्रियान्वयन की दिशा में, नोडल एजेंसी, यानी भारतीय स्टेट बैंक ने सूचित किया है कि 13 नवंबर, 2020 तक, अनंतिम जानकारी के अनुसार, विभिन्न ऋण संस्थानों से अब तक प्राप्त जानकारी है कि, इस तरह के ऋण संस्थानों ने उक्त योजना के तहत कवर किए गए उधारकर्ताओं के 13.12 करोड़ से अधिक खातों में 4,300 करोड़ रुपए से अधिक की कुल राशि जारी की है।

आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने बैंकों को निर्दिष्ट श्रेणियों के उधारकर्ताओं को छह महीने की अधिस्थगन अवधि के लिए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर का क्रेडिट देने की सलाह दी है।

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