लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अशीष मिश्रा को 25 से 31 दिसंबर तक अपने गृह ज़िले जाने की अनुमति दी
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी और पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे अशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक अपने गृह ज़िले लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने उनकी ज़मानत की शर्तों में इस सीमित दायरे में ढील दी है।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह भी दर्ज किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार मुख्य ट्रायल में 36 गवाहों के बयान हो चुके हैं, जबकि 85 गवाह अभी बाकी हैं, और 10 गवाहों को छूट दी गई है।
सुनवाई के दौरान यूपी के एडिशनल एडवोकेट जनरल की ओर से यह बताया गया कि जिस न्यायाधीश के समक्ष यह ट्रायल लंबित है, उनके पास 789 लंबित मुकदमे और भी हैं। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 में तय की।
अतिरिक्त अदालतों की आवश्यकता पर अदालत की टिप्पणी
कार्यवाही के दौरान चर्चा इस ओर भी गई कि मौजूदा न्यायिक अधिकारियों पर अत्यधिक कार्यभार है और ट्रायल मामलों की सुनवाई के लिए अतिरिक्त अदालतों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
CJI ने कहा कि एक ही ट्रायल जज के लिए इतने सारे मामलों को संभालना असंभव है। उन्होंने MP-MLA, UAPA, NDPS आदि मामलों के लिए विशेष अदालतों के गठन से संबंधित एक अन्य आदेश का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा:
"हमने केंद्र सरकार को विशेष अदालतें स्थापित करने और अतिरिक्त न्यायिक अवसंरचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, और इसमें केंद्र सरकार सहयोगी रही है।"
अशीष मिश्रा की तरफ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने भी बताया कि MP/MLA स्पेशल कोर्ट्स में भी डॉकेट पूरी तरह भरा हुआ है।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने दवे की उस प्रार्थना को स्वीकार किया जिसमें मिश्रा को 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक लखीमपुर जाने की अनुमति मांगी गई थी। आदेश में कहा गया:
"याचिकाकर्ता को 25 से 31 दिसंबर तक लखीमपुर खीरी जाने और ठहरने की अनुमति दी जाती है, पूर्व में लगी सभी शर्तों के साथ।"
मई 2024 में कोर्ट ने मिश्रा को हर शनिवार शाम लखीमपुर जाने और रविवार शाम तक लखनऊ लौटने की अनुमति दी थी, इस शर्त के साथ कि वे किसी सार्वजनिक सभा या राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे और यात्रा केवल पारिवारिक कारणों के लिए होगी।
मामले की पृष्ठभूमि:
अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अशीष मिश्रा के काफिले की गाड़ियों से 5 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था क्योंकि मिश्रा के पिता अजय कुमार मिश्रा उस समय केंद्रीय मंत्री थे।
सुप्रीम कोर्ट ने घटना का स्वतः संज्ञान लिया था और यूपी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाए थे। इसके बाद मिश्रा को हिरासत में लिया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में उन्हें ज़मानत दी थी, लेकिन अप्रैल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए वह आदेश रद्द कर दिया कि हाईकोर्ट ने अप्रासंगिक बातों को महत्व दिया और आवश्यक तथ्यों को नज़रअंदाज़ किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई कर ज़मानत अर्जी खारिज कर दी।
जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को 8 सप्ताह की अंतरिम ज़मानत दी थी, जिसे आगे बढ़ाते हुए बाद में स्थायी कर दिया गया। कोर्ट ने उन्हें दिल्ली या लखनऊ में रहने की अनुमति दी थी।
नवंबर 2024 में कोर्ट ने गवाहों को धमकाने के आरोपों पर मिश्रा से जवाब मांगा था। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर के एसपी को इन आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया।