केरल SIR समयसीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने टाल लिया फैसला, 18 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केरल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन–SIR) के तहत गणना प्रपत्रों (एन्युमरेशन फॉर्म) जमा करने की समयसीमा बढ़ाने से जुड़ी याचिकाओं पर तत्काल कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा समयसीमा यानी 18 दिसंबर को ही मामले पर पुनः विचार किया जाएगा और तभी तय किया जाएगा कि समय बढ़ाने की आवश्यकता है या नहीं।
खंडपीठ के समक्ष केरल सरकार और कुछ राजनीतिक दलों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनमें स्थानीय निकाय चुनावों के चलते SIR की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई।
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि पहले यह समयसीमा 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर की गई थी और सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद इसे 18 दिसंबर तक और बढ़ाया गया।
सीपीआई(एम) सचिव एम. वी. गोविंदन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पी. वी. सुरेन्द्रनाथ ने कम से कम दो सप्ताह का और समय देने की मांग की।
उनका कहना था कि अभी भी लगभग 20 लाख लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है, और अतिरिक्त समय मिलने से राज्य से बाहर रह रहे छात्र व कर्मचारी अवकाश के दौरान औपचारिकताएं पूरी कर सकेंगे। केरल सरकार की ओर से एडवोकेट सी. के. ससी ने भी समय बढ़ाने की मांग का समर्थन किया।
इसके जवाब में निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि अब तक जमा हुए 97.42 प्रतिशत एन्युमरेशन फॉर्म डिजिटाइज किए जा चुके हैं।
द्विवेदी ने कहा कि यदि वास्तव में जरूरत महसूस होगी तो आयोग स्वयं समयसीमा आगे बढ़ा सकता है। इसलिए फिलहाल किसी अटकल के आधार पर न्यायालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को सिफारिश की थी कि स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर SIR की समयसीमा पर पुनर्विचार किया जाए। राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 9 और 11 दिसंबर को हो रहे हैं तथा मतगणना 13 दिसंबर को निर्धारित है।
केरल सरकार के अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महासचिव पी. के. कुन्हालीकुट्टी, केपीसीसी अध्यक्ष सन्नी जोसेफ और सीपीआई(एम) सचिव एम. वी. गोविंदन मास्टर की याचिकाओं पर भी न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। सीपीआई(एम) की ओर से सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार तथा आईयूएमएल की ओर से अधिवक्ता हारिस बीरन उपस्थित हुए।
केरल सरकार की याचिका में SIR अधिसूचना को सीधे चुनौती नहीं दी गई, बल्कि केवल इसे स्थानीय निकाय चुनावों तक स्थगित करने की मांग की गई।
इससे पहले राज्य ने इसी मांग को लेकर केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से हस्तक्षेप से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी गई, क्योंकि संबंधित मामले पहले से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।
SIR कार्यक्रम के अनुसार बूथ लेवल ऑफिसरों द्वारा गणना 4 दिसंबर तक पूरी होनी थी और ड्राफ्ट मतदाता सूची 9 दिसंबर को प्रकाशित होनी है।
राज्य सरकार का तर्क है कि चुनावों के साथ-साथ यह प्रक्रिया चलने से प्रशासनिक स्तर पर गंभीर कठिनाइयां पैदा हो रही हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिहार तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी SIR से जुड़े मामलों में याचिकाएं लंबित हैं।
बिहार का मामला कई बार सुनवाई के बाद निपट चुका है और वहां चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जबकि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया अभी शुरू होनी बाकी है। वहां दायर याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा गया।