कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक में सबसे खराब: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह ने कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड की खिंचाई करते हुए कहा कि ये भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक में सबसे खराब प्राधिकरण है।
जज ने आगे कहा,
"ये भ्रष्टाचार के मामले में कर्नाटक में सबसे खराब प्राधिकरण है। कितने मामलों में भूमि आवंटित की गई है? हमने एक राय नहीं बनाई है, लेकिन हम यह कह रहे हैं। कर्नाटक से बहुत सारे मामले हैं, हमने देखा है। कम से कम मेरे करियर में।"
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की डिवीजन बेंच औद्योगिक भूखंड के आवंटन के संबंध में भोरुका स्टील्स एंड सर्विस लिमिटेड द्वारा दायर एसएलपी पर विचार कर रही थी।
खंडपीठ ने आगे कहा कि जैसे किसी सरकारी प्राधिकरण को विवेकाधीन शक्तियां दी जाती हैं, तो वे भ्रष्टाचार लिप्त होने लगते हैं।
बेंच ने कहा,
"जब एक सरकारी प्राधिकरण को विवेकाधीन शक्तियां दी जाती हैं, तो यह भ्रष्टाचार का प्रारंभिक बिंदु है। विवेकाधीन कोटा की आड़ में शरारत है।“
बोर्ड की ओर से पेश वकील ने कहा कि ऐसा मामला नहीं था।
जस्टिस शाह ने तुरंत टिप्पणी की,
"हमारा फैसला ये ही होगा।"
वकील ने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी, क्लीयरेंस कमेटी जैसी कई समितियां हैं और आवश्यक भूमि आवंटित करने से पहले बड़ी मात्रा में जमीनी काम किया जाता है।
जस्टिस शाह ने पूछा,
"तो, कोई भी जा सकता है और कह सकता है कि मुझे ये प्लॉट चाहिए?"
वकील ने कहा,
"प्लॉट उपलब्ध है या नहीं, इसकी पुष्टि करने के लिए ग्राउंडवर्क किया गया है।"
वकील ने आगे कहा कि भूमि आवंटन से पहले 14 विभाग इस पर काम करते हैं।
KIADB की स्थापना कर्नाटक में उद्योगों के तीव्र और व्यवस्थित विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ KIAD अधिनियम के दायरे में सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन में सहायता के लिए की गई थी।
कोर्ट इस मामले की सुनवाई 22 मार्च को जारी रखेगी।
केस टाइटल: भोरुका स्टील्स एंड सर्विस लिमिटेड बनाम कार्यकारी सदस्य, केआईएडीबी।