जजों की नियुक्ति में केंद्र की देरी के खिलाफ दायर याचिकाओं को कॉज़ लिस्ट हटाया, जस्टिस एसके कौल ने कहा- मुझे यकीन है कि चीफ जस्टिस को इसकी जानकारी है

Update: 2023-12-05 08:00 GMT

जजों की नियुक्ति में देरी करने वाली केंद्र सरकार के खिलाफ दायर याचिकाएं सुनवाई की पिछली तारीख पर विशिष्ट निर्देश के बावजूद, आज (मंगलवार) सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं की गईं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने इस संबंध में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ का ध्यान आकर्षित किया। हालांकि याचिकाओं को शुरू में कॉज़ लिस्ट में दिखाया गया, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया।

भूषण ने कहा,

"जजों की नियुक्ति का मामला सूचीबद्ध नहीं है। यह अजीब है कि इसे हटा दिया गया।"

जस्टिस कौल ने कहा,

"मैं सिर्फ एक बात कहूंगा। मैंने मामला नहीं हटाया है।"

भूषण ने उत्तर दिया,

"माई लॉर्ड को रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।"

जस्टिस कौल ने जवाब दिया,

"मुझे यकीन है कि चीफ जस्टिस को इसकी जानकारी है।"

भूषण ने बताया,

"बहुत अजीब। इसे आज (मंगवार) सूचीबद्ध करने का न्यायिक आदेश मौजूद है।"

जस्टिस कौल ने कहा,

"कल मैंने पाया कि इसे हटा दिया गया। मैंने जांच की।"

जब भूषण ने कहा कि यह "बहुत असामान्य" है, तो जस्टिस कौल ने जवाब दिया,

"कभी-कभी कुछ चीज़ों को अनकहा छोड़ देना ही बेहतर होता है।"

जस्टिस कौल ने अंत में कहा,

"मैं स्पष्ट करता हूं कि ऐसा नहीं है कि मैंने मामला हटा दिया है, या मैं इस मामले को लेने के लिए तैयार नहीं हूं।"

पिछले कई मौकों पर, पीठ ने कॉलेजियम प्रस्तावों पर खामोश रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की थी। केंद्र के "पिक एंड चूज़" दृष्टिकोण, जिसके तहत केवल कुछ सिफारिशों को मंजूरी दी जाती है और कुछ अन्य को लंबित रखा जाता है, उसकी भी न्यायालय की कठोर आलोचना हुई।

पिछली सुनवाई की तारीख पर, न्यायालय ने जजों के ट्रांसफर को अधिसूचित करने में चयनात्मक दृष्टिकोण को चिह्नित किया और विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद, गुजरात हाईकोर्ट के चार जजों का ट्रांसफर नहीं किया गया।

जस्टिस कौल ने पहले अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह नियुक्तियों में प्रगति की निगरानी के लिए मामले को नियमित अंतराल पर पोस्ट करेंगे, 25 दिसंबर से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अदालत 15 दिसंबर को गर्मियों की छुट्टियों के लिए बंद हो जाएगी।

केस टाइटल: एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु बनाम बरुण मित्रा एवं अन्य। | अवमानना याचिका (सिविल) नंबर 2021/867 में स्थानांतरण याचिका (सिविल) नंबर 2419/2019 में

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