जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने गढ़चिरौली आगजनी मामले में सुरेंद्र गाडलिंग की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

Update: 2025-08-26 08:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने 2016 के गढ़चिरौली आगजनी मामले में दलित अधिकार कार्यकर्ता और वकील सुरेंद्र गाडलिंग की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। यह मामला आज (मंगलवार) जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध था।

यह ज़मानत याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के कारण दायर की गई, जिसमें महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में दिसंबर 2016 में हुई घटना के सिलसिले में गाडलिंग को ज़मानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया गया था।

गाडलिंग पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307, 341, 342, 435, 323, 504, 506, 143, 147, 148, 149 और 120(बी), भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 5 और 28, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की धारा 135 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) की धारा 16, 18, 20 और 23 के तहत मामला दर्ज किया गया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, माओवादियों ने एटापल्ली तहसील में सुरजागढ़ खदानों से लौह अयस्क ले जा रहे 80 से अधिक वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि गाडलिंग ने सुरजागढ़ घटना में अन्य आरोपियों को वाहनों में आग लगाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के निर्देश दिए थे।

नागपुर पीठ ने जांच के दौरान ज़ब्त किए गए पत्रों और हार्ड ड्राइव के आधार पर यह निर्धारित करते हुए कि वह आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की साजिश का हिस्सा था, गडलिंग की ज़मानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने पाया कि प्रथम दृष्टया, गडलिंग प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कुछ सदस्यों का न केवल वकील था, बल्कि स्वयं भी उस संगठन का औपचारिक सदस्य था।

संक्षेप में मामला

2023 में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने गडलिंग की याचिका पर नोटिस जारी किया।

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तारी के बाद से गडलिंग जून, 2018 से तलोजा जेल में बंद है। बाद में फरवरी, 2019 में गढ़चिरौली आगजनी मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 में 2018 के भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गडलिंग और सह-आरोपी महेश राउत द्वारा दायर डिफ़ॉल्ट ज़मानत याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था। इससे पहले दिसंबर, 2021 में हाईकोर्ट ने सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट ज़मानत दी थी, मगर गडलिंग और आठ अन्य की याचिका खारिज कर दी थी। उस फैसले के खिलाफ गडलिंग की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। भीमा कोरेगांव मामले में उनकी ज़मानत याचिका पिछली पोस्टिंग पर जस्टिस सुंदरेश की बेंच के समक्ष भी सूचीबद्ध की गई थी।

Case Title – Surendra Pundalik Gadling v. State of Maharashtra

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