जस्टिस कुरैशी की सिफारिश : केंद्र ने कहा, फैसला अंतिम चरण में, सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर को करेगा सुनवाई

Update: 2019-11-04 06:30 GMT

न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति करने में देरी का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 7 नवंबर को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर ये सुनवाई टाली जिसमें कहा गया कि कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र द्वारा फैसला लेने का अंतिम चरण चल रहा है। कुछ प्रशासनिक कारण शामिल हैं, इसलिए अगले सोमवार तक का समय चाहिए।

लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कॉलेजियम ने एक सिफारिश की है तो उसमें केंद्र को फैसला करना है। इस दौरान प्रशासनिक कारण कहां से आए। पीठ ने मामले को सात नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।

केंद्र सरकार के कदम का  इंतेज़ार

दरअसल फिलहाल केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की उस सिफारिश पर कदम नहीं उठाया है जिसमें न्यायमूर्ति अकील को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की संशोधित सिफारिश भेजी गई थी। इस याचिका को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने लंबित रखा है।

23 सितंबर को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने याचिकाकर्ता गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार की उस दलील को मान लिया था जिसमें कहा गया था कि फिलहाल कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति अकील को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की संशोधित सिफारिश भेजी है, इसलिए केंद्र के इस नियुक्ति करने तक याचिका पर सुनवाई टाल दी जाए।

पीठ ने कहा था कि जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर न्याय के प्रशासन की जड़ में हैं। इसलिए इस मुद्दे पर न्यायिक परीक्षण कड़ाई से सीमित है। न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप संस्था के लिए अच्छा नहीं है।

सिफारिश में संशोधन 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों के कॉलेजियम ने केंद्र सरकार द्वारा भेजी रिपोर्ट और तथ्यों के आधार पर अपनी सिफारिश में संशोधन करते हुए जस्टिस अकील को मध्य प्रदेश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश भेजी है।

इससे पहले 27 अगस्त को केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को अपना जवाब भेज दिया था। केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने में असमर्थता जताई है।

दरअसल 15 जुलाई को इस जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। ये सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को की थी। ये सिफारिश भी कॉलेजियम द्वारा उसी दिन की गई जिसके द्वारा न्यायमूर्ति डीएन पटेल की दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति पटेल के प्रस्ताव पर केंद्र ने दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई की और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के CJ के रूप में कार्यभार संभाल लिया जबकि न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल को लंबित रखा गया है। इस बीच केंद्र ने 7 जून को न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया।

याचिका में केंद्र सरकार को जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल की उपेक्षा को याचिका में उजागर करते हुए कहा गया है कि केंद्र द्वारा 10 मई के बाद न्यायिक नियुक्तियों की 18 फाइलों को मंजूरी दी गई है। बार के विरोध के बीच गुजरात उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरैशी को पिछले साल अक्टूबर में बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

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