ISKCON संचालित स्कूलों में यौन शोषण के आरोप : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को बाल अधिकार आयोगों से संपर्क करने को कहा

Update: 2025-11-25 09:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (ISKCON) द्वारा संचालित स्कूलों में कथित यौन शोषण की शिकायतों की जांच की मांग करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के राज्य बाल अधिकार आयोगों के पास नया प्रतिवेदन देने की अनुमति दी।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि आंतरिक रिकॉर्ड गंभीर यौन शोषण की घटनाओं की ओर संकेत करते हैं और संबंधित अधिकारियों को की गई शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

याचिका में कहा गया कि कोर्ट के सामने रखी गई सामग्री कथित दुराचार का केवल एक छोटा हिस्सा है, जबकि वास्तविक पैटर्न कहीं अधिक व्यापक है।

सुनवाई के दौरान, जस्टिस नागरत्ना ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या NCPCR और राज्य आयोगों को भेजे गए पहले के प्रतिवेदन का कोई जवाब मिला? उन्होंने यह भी जानकारी चाही कि क्या किसी मामले में FIR दर्ज हुई है या जांच शुरू हुई है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि पुलिस में शिकायत की गई, पर उनकी जानकारी सीमित है।

यह याचिका राजनीश कपूर जस्टिस फॉर श्रीला प्रभुदा फाउंडेशन और राधे कृष्ण लीगल एड फाउंडेशन द्वारा दायर की गई थी।

खंडपीठ ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता संबंधित आयोगों को नया प्रतिवेदन या रिमाइंडर भेज सकते हैं। ऐसे प्रतिवेदनों पर शिकायतों के अनुरूप विचार किया जाना चाहिए।

खंडपीठ ने कहा,

“हम इस याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ताओं को NCPCR, यूपी SCPCR और पश्चिम बंगाल SCPCR के समक्ष नया प्रतिवेदन/रिमाइंडर देने की स्वतंत्रता देते हैं। यदि ऐसा प्रतिवेदन दिया जाता है तो उसे याचिका में प्रस्तुत शिकायतों और आरोपों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाए।”

इस्कॉन की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि यह याचिका बंगलौर इकाई और संगठन की अन्य इकाइयों के बीच चल रहे विवाद से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि यह विवाद पहले से ही एक तीन-जजों की पीठ के विचाराधीन है, क्योंकि समीक्षा पीठ में विभेद हो गया था।

हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इस आरोप का खंडन किया।

सुनवाई के अंत में जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

“यह मामला बच्चों से जुड़ा है, इसलिए हम आपको एक निष्पक्ष निकाय के पास जाने को कह रहे हैं।”

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