एचसी जजों पर कुलदीप सेंगर को जमानत के बदले 'पैसे' लेने के आरोप, सीजेआई ने कहा- 'आप भूल रहे हैं कि न्यायपालिका ने ही उसे दोषी ठहराया था'

Update: 2025-12-29 14:16 GMT

उन्नाव रेप आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत देने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट जजों पर लगे सार्वजनिक आरोपों पर चिंता जताते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत ने सिस्टम पर "दबाव डालने" की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी।

सीजेआई ने पीड़िता के वकील से कहा कि वे यह न भूलें कि यह न्यायपालिका ही थी, जिसने सेंगर के खिलाफ शुरुआती दोषसिद्धि का आदेश पारित किया। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि भारतीय न्यायपालिका में कुछ बेहतरीन जज हैं, लेकिन कभी-कभी फैसलों में अनजाने में गलतियां हो सकती हैं।

सीजेआई कांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई की और दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसने सेंगर की सज़ा को निलंबित कर दिया था और दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी अपील लंबित रहने के दौरान उसे जमानत दे दी थी।

सुनवाई के दौरान, रेप पीड़िता की ओर से वकील महमूद प्राचा ने प्रार्थना की कि उन्हें मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाए। हालांकि, सीजेआई ने सवाल किया कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी स्वतंत्र अपील क्यों नहीं दायर कर सकतीं। इस पर प्राचा ने स्वीकार किया कि ऐसा किया जाएगा। बेंच ने आखिरकार अपने आदेश में कहा कि पीड़िता ऐसी अलग याचिका दायर कर सकती है। यदि आवश्यक हो तो उसे मुफ्त कानूनी सहायता दी जाएगी।

सेंगर की ओर से सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन और सिद्धार्थ दवे ने दिल्ली हाईकोर्ट के उन जजों के खिलाफ लगाए गए सार्वजनिक आरोपों का विरोध किया, जिन्होंने सेंगर की सज़ा को निलंबित करने का आदेश दिया था।

हरिहरन ने कहा,

"उन्हें जजों के खिलाफ बयान देने से बचना चाहिए... वे राष्ट्रीय टेलीविजन पर ऐसा कर रहे हैं। मीडिया ट्रायल चल रहा है। यह अवमानना ​​के करीब है।"

शुरुआत में सीजेआई ने कहा कि किसी को भी ऐसी टिप्पणियों की परवाह नहीं करनी चाहिए।

आगे कहा गया,

"हम हाथीदांत के टावर में नहीं बैठे हैं... हम जानते हैं कि लोग राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं... किसी को भी इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए।"

हाईकोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि प्रावधानों का बहुत गहराई से विश्लेषण किया गया। साथ ही, "हम सभी गलतियां करने के लिए प्रवृत्त हैं"। बता दें, गलती हाईकोर्ट द्वारा IPC और POCSO Act दोनों के तहत सेंगर की दोषसिद्धि पर ध्यान देने [पैरा 25 में] के बावजूद बाद में IPC दोषसिद्धि को संबोधित करने में विफल रहने का संदर्भ था।

बाद में जब हरिहरन अड़े रहे और एक वीडियो दिखाया, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट के जज "भ्रष्ट" हैं और उन्होंने "पैसे लिए हैं", तो सीजेआई ने प्राचा से कहा,

"आप भूल रहे हैं कि उसे न्यायपालिका ने ही दोषी ठहराया था! न्यायपालिका को धमकाने की कोशिश मत करो! मान लीजिए कि कोई गलत आदेश पारित हो जाता है तो क्या आप न्यायपालिका के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएंगे?"

जब प्राचा ने बचाव किया कि दोषी ही शोर मचा रहा है तो जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि पार्टियों को कोर्ट में बात करनी चाहिए, बाहर बहस नहीं करनी चाहिए।

जज ने कहा,

"कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी न करें।"

Case Title: CBI v. Kuldeep Singh Sengar, SLP(Crl) 21367/2025

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