न्यायिक अधिकारी पेंशन : सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन न करने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब कर पूछा क्यों न अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए

Update: 2023-02-08 04:09 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पेंशन बढ़ाने के संबंध में अपने पहले के निर्देशों का पालन नहीं करने वाले कुछ राज्यों को गंभीरता से लिया।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने यह देखते हुए कि झारखंड, केरल, कर्नाटक, मिजोरम और उत्तर प्रदेश राज्यों ने पेंशन बकाया जमा करने में चूक की है, आदेश दिया कि इन राज्यों के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से सुनवाई की अगली तारीख 28 फरवरी पर उपस्थित होकर कारण बताएं कि इसके लिए अवमानना कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान, इस मामले में एमिकस क्यूरी, सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर ने संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अनुपालन की स्थिति के बारे में एक चार्ट प्रस्तुत किया। हालांकि अधिकांश राज्यों ने 2022 में न्यायालय के पहले के निर्देश का अनुपालन किया था, लेकिन कुछ राज्यों ने नहीं किया। पीठ ने इस पर आपत्ति जताई।

न्यायालय ने कहा कि बिहार ने हलफनामे में एक विशिष्ट बयान दिया था कि वे पहले ही आदेश का अनुपालन कर चुके हैं और बैंकों को क्रेडिट करने के निर्देश दिए गए हैं। पीठ ने मामले को उठाकर कहा कि झारखंड ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

पीठ ने वकील से पूछा,

“आपका (झारखंड के वकील) बयान कहता है कि अकाउंटेंट जनरल (महालेखाकार) को यह करना चाहिए। उसके बाद अकाउंटेंट जनरल ने क्या किया है? यदि एसबीआई बैंक की कोई केंद्रीय पेंशन कार्यवाही नहीं है तो आपके पास कुछ और होना चाहिए, सेवानिवृत्त अधिकारियों को अकाउंटेंट जनरल को आवेदन करने के लिए क्यों मजबूर किया जाना चाहिए?”

इसके अलावा, पीठ ने पूछा कि इस मुद्दे के संबंध में अकाउंटेंट जनरल पर अनुवर्ती कार्रवाई के लिए राज्य ने क्या कदम उठाए।

पीठ ने आगे पूछा,

"क्या आपका मामला यह है कि अकाउंटेंट जनरल ने आपकी बात नहीं सुनी?"

भटनागर ने 2020 में दिए गए कर्नाटक के हलफनामे पर भरोसा करते हुए कहा कि उसने पेंशन के संशोधन के लिए राशि स्वीकृत की थी। हालांकि, राशि के वास्तविक संवितरण (disbursement) पर कोई स्पष्टता नहीं है।

"क्या आपने अनुपालन का हलफनामा दायर किया है? हमने आपको विशेष रूप से यह बताने का निर्देश दिया था कि न केवल वितरण की अधिसूचना जारी की जाए बल्कि राशि का वितरण भी किया जाए। आपके मुख्य सचिव भी यहां आने के निमंत्रण के पात्र हैं। हमने काफी रियायतें दे दी हैं, अब सचिवों को दिल्ली आने दीजिए।"

केरल के हलफनामे में कहा गया है कि राशि का वितरण 3 फरवरी तक पूरा हो जाएगा। एमिकस ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि उन्होंने इसे अब तक कर लिया है।"

केरल की ओर से पेश एडवोकेट ने कहा, "सरकारी आदेश के अनुसार,हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उस दिन से पहले भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।"

बेंच ने राज्य के गैर-अनुपालन को ध्यान में रखते हुए कहा, “हाईकोर्ट का इससे कोई सरोकार नहीं है। भुगतान खजाने से किया जाना है।"

जस्टिस गवई ने कहा, "यह उनका (पेंशनभोगी) हक है। यह कोई इनाम नहीं है। यह आपकी दया पर कुछ नहीं है।"

मिजोरम की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य की ओर से प्रक्रिया पूरी हो गई है। पांच में से दो पेंशनभोगियों को सत्यापित करने के लिए पेंशन वितरण प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है।

बेंच ने पूछा, "उन्हें पेंशन वितरण प्राधिकरण के सामने क्यों पेश होना चाहिए?"

पीठ ने कहा, “वह युग ( शारीरिक सत्यापन का) अब चला गया है। अधिकारियों के खातों में पेंशन जमा कराई जाए। उन्हें विभिन्न दरवाजों पर दस्तक देने की आवश्यकता नहीं है।"

बेंच ने कहा, "अब कोर्ट को हल्के में न लें।"

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील ने खुलासा किया कि राशि अभी तक पेंशनरों के बैंक खाते में नहीं पहुंची है।

पीठ ने टिप्पणी की, "जब हमने आपसे एक विशेष तिथि तक एक विशेष कार्य करने के लिए कहा है, तो आपको वह करना चाहिए था। इसलिए यूपी द्वारा अनुपालन नहीं किया गया।”

अदालत ने मामले को स्थगित करते हुए आदेश दिया, "कहने की जरूरत नहीं है, इन (गलती करने वाले) राज्यों के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से 28 फरवरी को उपस्थित रहेंगे और कारण बताएंगे कि इस अदालत की अवमानना ​​करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।"

2012 में, न्यायालय ने निर्देश दिया कि 1 जनवरी, 1996 के बाद सेवानिवृत्त हुए सभी पूर्व पेंशनभोगियों की मौजूदा पेंशन और कर्नाटक मॉडल के अनुसार समेकित किए गए पेंशनभोगियों की मौजूदा पेंशन को उनके संबंधित पदों के संशोधित वेतनमान का न्यूनतम 50% और अन्य पेंशनभोगियों के सममूल्य पर 3.07 गुना बढ़ाया जाएगा।

सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पेंशन पर कर्नाटक सरकार के 2004 के आदेश में 'कर्नाटक मॉडल' की परिकल्पना की गई है। दिनांक 08.04.2004 के आदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मॉडल को अपनाया था -

"विद्वान एमिकस क्यूरी ने सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को पेंशन के भुगतान के संबंध में कर्नाटक सरकार द्वारा जारी दिनांक 4 फरवरी 2004 को एक सरकारी आदेश हमारे सामने रखा है और सुझाव दिया है कि अन्य राज्यों द्वारा भी इसी मॉडल को अपनाया जा सकता है। हम इस सरकारी आदेश को रिकॉर्ड पर लेते हैं और उम्मीद करते हैं कि अन्य सभी राज्य उक्त मॉडल को अपना सकते हैं। राज्य दो महीने की अवधि के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल कर सकते हैं।"

मई 2022 में पीठ ने अपने अप्रैल के आदेश के साथ सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पेंशन योजना के अनुसार बढ़ाई जाए। 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश में 4 सप्ताह के भीतर ऐसा करने के लिए कहा गया है।

केस : ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य। रिट याचिका (सी) नंबर 1022/ 1989

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