जम्मू और कश्मीर में कब तक प्रतिबंध जारी रहेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा साफ जवाब

Update: 2019-10-24 07:38 GMT

जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार से पूछा है कि आखिर कब तक वहां प्रतिबंध और इंटरनेट बैन जारी रहेंगे।

जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई के साथ जस्टिस एनवी रमना की तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा, " आप स्थितियों की समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन हम समय के बारे में जानना चाहते हैं । आप हमें साफ- साफ बताइए।"

इसके साथ ही इस मामले में सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों व हिरासत के मामलों में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई पांच नवंबर को तय की गई हैं ।

"हालात की प्रतिदिन समीक्षा"

हालांकि इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालात की प्रतिदिन समीक्षा की जा रही है । जम्मू- कश्मीर में 99 प्रतिशत प्रतिबंध हटा लिए गए हैं, लेकिन इंटरनेट सेवा बहाल नहीं की गई है क्योंकि इसका असर सीमा पार से पड़ता है । उन्होंने कहा कि कोर्ट को कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करनी चाहिए ।

वहीं पीठ ने 2012 से 2018 के बीच अनुच्छेद 370 और 35 ए को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं को भी पांच जजों के संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया है जो 14 नवंबर को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू- कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

"हम जजों की कोई निजी जिंदगी नहीं होती"

सुनवाई के दौरान जस्टिस रमना ने कहा, " उनके साथी जज आज छुट्टी लेना चाहते थे क्योंकि उन्हें निजी कार्य था, लेकिन मामले को देखते हुए मैंने आने को कहा नहीं तो लोग कहेंगे कि कोर्ट सुनवाई करना नहीं चाहता । हम जजों की कोई निजी जिंदगी नहीं होती।"

दरअसल 16 अक्टूबर को श्रीनगर पुलिस द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बहन और बेटी सहित महिला कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने घाटी में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा हटाने के बाद कश्मीर में बंद और प्रतिबंध से संबंधित सभी आदेशों को दाखिल करने में केंद्र की विफलता पर सवाल उठाए थे । पीठ ने जम्मू-कश्मीर पर लगाए गए प्रतिबंधों के आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ना करने पर नाराज़गी जाहिर की थी ।

"क्या यह उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया गया है?"


कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि "क्या यह उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया गया है?"  सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया था कि केंद्र ने कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन सहित कई संबंधित पक्षों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई की पहली तारीख 1 अक्टूबर को हलफनामा दाखिल किया था लेकिन भसीन की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि प्रतिबंध के आदेशों पर सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है । 

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