जस्टिस रजनेश ओसवाल ने J&K HC के जज की शपथ ली : भारत के संविधान की शपथ लेने वाले पहले जज
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के रद्द होने के बाद जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय में जज नियुक्त किए गए न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल पहले जज बन गए है जिन्होंने भारत के संविधान के तहत शपथ ली है।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने गुरुवार को आयोजित समारोह में न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल को शपथ दिलाई। इस शपथग्रहण समारोह का इंटरनेट पर सीधा प्रसारण भी किया गया। COVID-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के मद्देनजर, वेब कास्टिंग के माध्यम से अन्य लोगों द्वारा कार्यवाही की भागीदारी और देखने की व्यवस्था की गई थी।
गौरतलब है कि इससे पहले उच्च न्यायालय में जजों को जम्मू-कश्मीर संविधान के तहत शपथ दिलाई जाती थी और ये प्रक्रिया जम्मू और कश्मीर के संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत होती थी।
हालांकि केंद्र के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ के सामने लंबित है जिस पर सुनवाई फिलहाल कोरोना वायरस के चलते टल गई है ।
न्यायमूर्ति ओसवाल की नियुक्ति के साथ ही उच्च न्यायालय में जजों की संख्या मुख्य न्यायाधीश सहित नौ हो गई है जबकि यहां की क्षमता 17 न्यायाधीशों की है।
जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को निरस्त करने और केंद्र शासित प्रदेश में राज्य के रूपांतरण के बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में यह पहली न्यायिक नियुक्ति है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019, जिसने राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया था, 31 अक्टूबर, 2019 को लागू हुआ था।
31 मार्च को, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (कठिनाइयां दूर करना) आदेश, 2020 को लागू कर कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 217, 219, 227 और 237 जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में निम्नलिखित संशोधनों के साथ लागू होंगे। :
• राज्य के राज्यपाल को संविधान के भाग VI के अनुच्छेद 217, 219 और अध्याय VI में संदर्भ में उपराज्यपाल, जम्मू और कश्मीर के केंद्रीय क्षेत्र के संदर्भ के रूप में माना जाएगा;
• अनुच्छेद 227 के खंड (3) के तहत राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 237 के उपबंध में संदर्भ को उपराज्यपाल, जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के संदर्भ के रूप में माना जाएगा।