क्या चुनावी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना मौलिक अधिकार है? लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

Update: 2023-03-28 11:31 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लक्षद्वीप के सांसद पीपी मोहम्‍मद फैजल की याचिका पर विचार किया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना मौलिक अधिकार है।

एक निचली अदालत ने मोहम्‍मद फैजल को आपराधिक मामले में दोषी करार दिया था, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य करार दिया था। हाईकोर्ट ने बाद में उनकी दोषसिद्धी पर रोक लगा दी, लेकिन लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल नही की, जिसके बाद उन्होंने मौजूदा याचिका दायर की।

फैजल की याचिका जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी।

चूंकि याचिका पर आज सुनवाई होने की संभावना नहीं थी, इसलिए याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया, जब वह दोपहर भोजनावकाश के बाद सुनवाई के लिए इकट्ठा हुए।

जब वकील ने मामले की व्याख्या की तो पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका तभी सुनवाई योग्य है जब मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया हो।

जस्टिस जोसेफ ने पूछा, "कौन सा मौलिक अधिकार है जिसका उल्लंघन हुआ है?"

वकील ने जवाब दिया, "निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का उनका अधिकार।"

जस्टिस जोसेफ ने पूछा, "क्या यह मौलिक अधिकार है?"

वकील ने जवाब दिया कि सांसद की दोषसिद्धि पर रोक के बाद भी अयोग्यता को रद्द करने से इनकार बहुत ही मनमाना है। जस्टिस जोसेफ ने फिर पूछा कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट से संपर्क क्यों नहीं कर सकता।

वकील ने बताया कि चूंकि लक्षद्वीप प्रशासन ने दोषसिद्धि पर रोक के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पहले से ही सुप्रीम कोर्ट कब्जे में है इसलिए याचिकाकर्ता ने अपनी लोकसभा सदस्यता की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील करना उचित समझा। पीठ मामले पर सुनवाई करने पर कल सहमत हो गई थी।

राकांपा सांसद ने लोकसभा सचिवालय द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने के फैसले को वापस लेने से इनकार करने को चुनौती देते हुए नवीनतम याचिका दायर की है। उन्होंने कह है कि उनकी दोषसिद्धि पर हाईकोर्ट रोक चुका है।

कल, सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की थी।

11 जनवरी, 2023 को लक्षद्वीप की एक सत्र अदालत ने एनसीपी सांसद और तीन अन्य को 2009 के हत्या के प्रयास के एक मामले में दस साल कैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद फैजल को अयोग्य घोषित कर दिया गया और चुनाव आयोग ने उपचुनावों की घोषणा की।

25 जनवरी को केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फैजल की दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया। हाईकोर्ट के जज जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने राकांपा नेता की दोषसिद्धि को निलंबित करते हुए एक उपचुनाव में फिजूलखर्ची पर चिंता व्यक्त की, खासकर तब जब लोकसभा का कार्यकाल डेढ़ साल के भीतर समाप्त होने वाला है।

जस्टिस थॉमस ने यह भी कहा कि मामले में अभियुक्तों द्वारा कोई खतरनाक हथियार इस्तेमाल नहीं किया गया था और घाव के प्रमाण पत्र में कोई गंभीर चोट नहीं थी।

दोषसिद्धि के निलंबन के बाद, चुनाव आयोग ने उपचुनावों के लिए प्रेस नोट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। हालांकि लक्षद्वीप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्‍ना की पीठ ने 20 फरवरी को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। फैजल ने नवीनतम याचिका में तर्क दिया है कि लोकसभा द्वारा उन्हें बहाल करने से इनकार करना लोक प्रहरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि एक बार सजा पर रोक लगने के बाद अयोग्यता भी निलंबित हो जाएगी।

केस टाइटल: लक्षद्वीप केंद्रशासित प्रदेश बनाम मोहम्मद फैजल और अन्य। एसएलपी (क्रिमिनल) नंबर 1644/2023 और मोहम्मद फैजल पीपी बनाम महासचिव डब्ल्यूपी (सी) नंबर 405/2023]

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