यदि दावेदार ट्रेलर में यात्रा कर रहा है, जिसका बीमा नहीं है तो बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं, भले ही ट्रैक्टर का बीमा हो: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दावेदार ट्रैक्टर से जुड़े ट्रेलर में यात्रा कर रहा है, जिसका बीमा नहीं किया गया है तो बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है।
न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि जब कोई ट्रैक्टर और ट्रेलर शामिल होता है तो ट्रैक्टर और ट्रेलर दोनों का बीमा कराना आवश्यक होता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में मुआवजे को 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ बढ़ाकर 9,99,280/- रुपये कर दिया। लेकिन यह ध्यान में रखते हुए कि दावेदार ट्रैक्टर से जुड़े ट्रेलर में यात्रा कर रहा था, जिसका बीमा नहीं किया गया था, हालांकि ट्रैक्टर का बीमा किया गया था, हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को दोषमुक्त कर दिया।
अपील में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के इस दृष्टिकोण से सहमति व्यक्त की और कहा कि सामान्य परिस्थिति में जब दावेदार ट्रेलर में यात्रा कर रहा है, जिसका बीमा नहीं है तो बीमा कंपनी पर दायित्व तय नहीं किया जा सकता।
खंडपीठ ने हालांकि कहा कि दावेदार महिला है, जो मजदूर के रूप में काम करती है। वह ट्रेलर से जुड़े ट्रैक्टर में यात्रा कर रही थी, दुर्घटना की तारीख के अनुसार उसकी उम्र लगभग 20 वर्ष थी।
अदालत ने कहा,
"दुर्घटना में लगी चोटों के कारण उसके घुटने के जोड़ के ऊपर का बायां निचला अंग भी कट गया। इसलिए दिव्यांगता 100% होने के अलावा, शादी की संभावनाओं और सामान्य जीवन जीने पर पूर्वाग्रह है। ऐसे में परिस्थिति में दावेदार के लिए मालिक से राशि वसूल करना संभव नहीं होगा।
इस संबंध में खंडपीठ ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम बृज मोहन (2007) 7 एससीसी 56 में अपने फैसले पर भरोसा किया।
इस प्रकार, खंडपीठ ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह हाईकोर्ट द्वारा मुआवजे के रूप में दी गई राशि का भुगतान अर्जित ब्याज के साथ करे और इसे वाहन के मालिक से वसूल करे।
केस टाइटल- धोंडुबाई बनाम हनमंतप्पा बंदप्पा गांधीगुडे | लाइव लॉ (एससी) 725/2023 | सीए 5459-5460/2023
मोटर दुर्घटना मुआवजे का दावा - जब दावेदार ट्रेलर में यात्रा कर रहा है, जिसका बीमा नहीं किया गया तो बीमा कंपनी पर दायित्व तय नहीं किया जा सकता है- जब ट्रैक्टर और ट्रेलर शामिल होता है तो ट्रैक्टर और ट्रेलर दोनों का बीमा करना आवश्यक है। हालांकि, अनुच्छेद 142 की शक्तियों का उपयोग करते हुए बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट द्वारा मुआवजे के रूप में दी गई राशि को अर्जित ब्याज के साथ भुगतान करने और वाहन के मालिक से इसकी वसूली करने का निर्देश दिया।
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