CJI ने भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग किया
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के संविधान के मसौदे के प्रस्तावों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। CJI ने कहा कि उन्होंने पहले दिल्ली में हाईकोर्ट के जज के रूप में इनमें से एक मामले की सुनवाई की थी।
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) द्वारा खेल संघों में प्रस्तावित सुधारों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।
सितंबर, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व जज जस्टिस नागेश्वर राव को खेल निकाय के संविधान में संशोधन करने इसकी मतदाता सूची तैयार करने और इसके कार्यकारी निकाय के चुनाव कराने की प्रक्रिया को संभालने के लिए नियुक्त किया।
IOA ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ बनाम राहुल मेहरा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के मामलों को प्रशासकों की समिति (COA) के हाथों में सौंप दिया गया। 2023 में संविधान के मसौदे पर विचार करने की प्रक्रिया को संभालने के लिए जस्टिस एल नागेश्वर राव की नियुक्ति के बाद AIFF ने अपने संविधान के अंतिम मसौदे की मंजूरी के लिए भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि उन्होंने पहले भी इस मामले की सुनवाई की थी, जब वह दिल्ली हाईकोर्ट जज के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने आदेश दिया कि मामले को जस्टिस पीएस नरसिम्हा के समक्ष विचार के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
आदेश में कहा गया,
"HMJ जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।"
उल्लेखनीय है कि राहुल मेहरा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान के अनुसार चुनाव कराने तथा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निकाय को मामले सौंपने के लिए AIFF की प्रशासक समिति का पुनर्गठन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासक समिति से AIFF के सभी मामलों को तत्काल अपने हाथ में लेने को भी कहा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि दोनों मामले आपस में जुड़े हुए हैं, क्योंकि ऐसे बड़े सुधार हैं, जो भारत में प्रत्येक खेल को प्रभावित करेंगे।
35 राज्य भारतीय ओलंपिक संघों की ओर से सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने पीठ को बताया कि संसद मार्च में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पर विचार करेगी। एमिक्स क्यूरी की भूमिका में सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि मसौदा संविधानों के सुझावों से संबंधित चार्ट के साथ एक रिपोर्ट दाखिल की गई।
पिछली सुनवाई में न्यायालय ने जस्टिस राव द्वारा प्रस्तावित मसौदा संविधान पर आपत्तियां दर्ज करने के लिए IAFF को अनुमति दी थी। अब इस मामले की सुनवाई 10 फरवरी को होगी।
केस टाइटल: भारतीय ओलंपिक संघ बनाम भारत संघ और अन्य एसएलपी (सी) संख्या 14533/2022 और इससे जुड़े मामले।