"भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है" : सुप्रीम कोर्ट ने श्री श्री ठाकुर अनुकुलचंद्र को "परमात्मा" घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को 'परमात्मा' घोषित करने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि "भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
पीठ ने कहा,
"भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और याचिकाकर्ता को यह प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि भारत के नागरिक श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को परमात्मा (सर्वोच्च आत्मा) के रूप में स्वीकार किया जाए।"
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने "प्रचार हित याचिका" दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा,
यदि आप चाहते हैं कि आप उन्हें परमात्मा के रूप में मान सकते हैं। इसे दूसरों पर क्यों लागू करें?"
"हम ये लेक्चर सुनने नहीं सुनने आए हैं। हम सेक्युलर देश हैं।"
पीठ ने कहा कि यह "वास्तविक जनहित याचिका" नहीं है और इसे खारिज करते हुए भारी जुर्माना लगाया।
जस्टिस शाह ने टिप्पणी की,
"अब लोग ऐसी जनहित याचिका दायर करने से पहले कम से कम चार बार सोचेंगे।"