अगर मध्यस्थता अवार्ड लागू नहीं किये जाएंगे तो भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र नहीं बन सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से कहा कि अगर मध्यस्थता अवार्ड लागू नहीं किये जाते हैं तो भारत एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बनने की आकांक्षा नहीं रख सकता।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) द्वारा दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ( डीएमआरसी) के खिलाफ उसके पक्ष में पारित 7200 करोड़ रुपये के अवार्ड के प्रवर्तन के संबंध में दायर याचिका पर विचार करते हुए यह अवलोकन किया।
डीएएमईपीएल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने पीठ को बताया कि लगभग 4500 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। इस मोड़ पर, जस्टिस गवई ने भारत के अटॉर्नी जनरल की ओर रुख किया और कहा, "एक ओर भारतीय को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बनाने के बारे में सार्वजनिक भाषण होते हैं और फिर निर्णय का कोई प्रवर्तन नहीं है!"
जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अवार्ड को बरकरार रखा है और इसका पालन नहीं करना अदालत की अवमानना होगा।
जस्टिस गवई ने कहा, "एजी, यदि आप वास्तव में भारत को एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र बनाना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत आपसे करनी होगी ।"
एजी आर वेंकटरमणी ने मामले में 4 सप्ताह का समय मांगा। हालांकि, पीठ ने मामले को बुधवार के लिए स्थगित कर दिया।
अदालत 11 मई, 2017 के मध्यस्थता अवार्ड को लागू करने की मांग वाली डीएएमईपीएल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। 2008 में, डीएमआरसी ने डीएएमईपीएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जो "लाइन के डिजाइन, स्थापना, कमीशनिंग, संचालन और रखरखाव" से संबंधित था।
हालांकि, कुछ विवादों के कारण, मामला 2012 में मध्यस्थता में चला गया - डीएएमईपीएल द्वारा कुछ आधारों पर समझौते को समाप्त करने के बाद डीएमआरसी ने मध्यस्थता का आह्वान किया। डीएएमईपीएल के पक्ष में दिए गए फैसले को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।
डीएमआरसी के मुताबिक, 06 सितंबर तक रिलायंस की सब्सिडियरी का 7,010.08 करोड़ रुपये बकाया है। अब तक डीएएमईपीएल को 2,599.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। डीएमआरसी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से 3500-3500 करोड़ रुपये मांगे हैं। डीएएमईपीएल ने अवार्ड को लागू करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में निष्पादन याचिका दायर की है।
जस्टिस राव की हाईकोर्ट की पीठ को डीएमआरसी की ओर से पेश भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने 10 अक्टूबर को सूचित किया था कि चूंकि इक्विटी भागीदार इस मुद्दे पर अपना विवेक लगा रहे हैं, यह सही होगा कि दिल्ली मेट्रो के रखरखाव और संचालन को छूते हुए कोई प्रतिकूल आदेश पारित ना किया जाए।
डीएमआरसी ने यह भी कहा था कि यदि वर्तमान स्तर पर कंपनी के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है, तो इसका संचालन पूरी तरह से ठप हो जाएगा, जो कि सार्वजनिक हित के लिए प्रतिकूल होगा, यह देखते हुए कि लगभग 48 लाख यात्राएं दैनिक आधार पर होती हैं।
केस : दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड बनाम दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड |डायरी नंबर- 37734 - 2022