पहली बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति की सिफारिश पर केंद्र की आपत्तियों को खारिज करने के कारण रिकॉर्ड पर रखे

Update: 2023-01-20 05:59 GMT

Saurabh Kirpal, Somasekaran Sundaresan, John Sathyan

https://www.livelaw.in/top-stories/in-a-first-supreme-court-collegium-puts-on-record-reasons-to-reject-centres-objections-to-proposals-219467

पहली बार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति के संबंध में की गई सिफारिशों पर केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज करने के कारण रिकॉर्ड पर रखा है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने विभिन्न हाईकोर्ट्स में जज बनाने के लिए पांच वकीलों के नामों को दोहराया। इनमें सौरभ किरपाल (दिल्ली हाईकोर्ट), सोमशेखरन सुंदरेसन (बॉम्बे हाईकोर्ट), जॉन सत्यन (मद्रास हाईकोर्ट), अमितेश बनर्जी और सक्या सेन (कलकत्ता हाईकोर्ट के लिए) शामिल हैं।

इन नामों को दोहराते हुए भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के कॉलेजियम ने कानून मंत्रालय की आपत्तियों को खारिज करने के लिए स्पष्ट कारण बताए। इसमें जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि कॉलेजियम ने इन बयानों को कारणों के साथ प्रकाशित भी किया है, जो अभूतपूर्व है।

साथ ही, कॉलेजियम ने केंद्र से बार-बार दोहराई गई फाइलों को तेजी से संसाधित करने के लिए कहा है।

सीनियर एडवोकेट सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव

केंद्र की आपत्ति- वो समलैंगिक हैं। समलैंगिक अधिकारों के खुले समर्थन के कारण वह पक्षपाती हो सकते हैं। उनका पार्टनर स्विस नागरिक है।

कॉलेजियम प्रतिक्रिया- सेक्सुअल ओरिएंटेशन के आधार पर प्रस्ताव को अस्वीकार करना असंवैधानिक है। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि एडवोकेट सौरभ का पार्टनर, जो स्विस नागरिक है, हमारे देश के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा, क्योंकि उसका मूल देश एक मित्र राष्ट्र है। उच्च पदों पर आसीन कई व्यक्तियों के विदेशी पार्टनर हैं। कृपाल को न्यायपालिका में शामिल करने से बेंच में विविधता आएगी।

सोमशेखर सुंदरेसन - बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव

केंद्र की आपत्ति – उन्होंने लंबित मुद्दों पर विचार व्यक्त किया। सोशल मीडिया पर अत्यधिक विचारोत्तेजक और चुनिंदा आलोचनात्मक टिप्पणी की थी।

कॉलेजियम की प्रतिक्रिया- संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी नागरिकों को स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार है। सुंदरेसन के विचारों की अभिव्यक्ति उसे एक संवैधानिक पद धारण करने के लिए तब तक अयोग्य नहीं बनाती है जब तक कि न्यायाधीश पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति सक्षमता, योग्यता और सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति है।

जॉन सथ्यन- मद्रास हाईकोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव

केंद्र की आपत्ति : पीएम मोदी की आलोचना वाला आर्टिकल शेयर किया; और एक एनईईटी उम्मीदवार की आत्महत्या के बारे में एक अन्य पोस्ट को 'राजनीतिक विश्वासघात' से हत्या के रूप में चित्रित किया गया और 'शेम ऑफ यू इंडिया' का टैग लगाया गया था।

कॉलेजियम की प्रतिक्रिया: पीएम और एनईईटी की आलोचना करने वाले आर्टिकल्स को साझा करने से उनकी उपयुक्तता प्रभावित नहीं होगी। उनकी अच्छी पेशेवर और व्यक्तिगत छवि है।

अमितेश बनर्जी और शाक्य सेन: कलकत्ता हाईकोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव

कॉलेजियम के बयान में कहा गया है कि उन्हीं आपत्तियों- जिन्हें पहले कॉलेजियम ने खारिज कर दिया था- को केंद्र द्वारा दोहराया गया है।

कॉलेजियम ने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र उन्हीं आपत्तियों के साथ प्रस्तावों को बार-बार वापस नहीं कर सकता है जिन पर पहले कॉलेजियम विचार कर चुका है।


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