उन बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनसीपीसीआर के सुझावों को लागू करें, जिन्हें COVID-19 के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे 'महामारी और अन्य अकल्पनीय स्थितियों के कारण बच्चों की शिक्षा में अनिरंतरता की गंभीर समस्या' के संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से दिए गए सुझावों और उसके आदेश को प्रचारित करें।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई ने आशंका व्यक्त की कि अखबार मौजूदा मामले में सूचना प्रसारित करने का सबसे प्रभावी माध्यम नहीं हो सकते और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे शिक्षा विभाग या महिला एवं बाल कल्याण विभाग से नोडल अधिकारी नियुक्त करें। ये अधिकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आदि को निर्देश देंगे कि वे उन माता-पिता को व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें, जिनके बच्चों की महामारी के कारण शिक्षा रुक गई है और उन्हें एनसीपीसीआर की सिफारिशों की जानकारी दें।
पीठ ने राज्य सरकारों को ऐसे बच्चों की शिक्षा जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए एनसीपीसीआर के सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया।
सुश्री शोभा गुप्ता ने वी द वूमेन ऑफ इंडिया संगठन की ओर से बेंच को अवगत कराया कि उसकी ओर से दिए गए आदेश को प्रचारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को सुरक्षा की सख्त जरूरत है मगर उन्हें आदेशों की जानकारी नहीं है, अगर उन्हें इससे लाभ नहीं होता है तो उन्हें भय है कि हाईकोर्ट के प्रयासों को कमजोर किया जा सकता है।
जस्टिस राव ने सुश्री गुप्ता दलीलों को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से एनसीपीसीआर की ओर से दिए गए सुझावों को प्रचारित करने के लिए कार्ययोजना का सुझाव देने को कहा।
उन्होंने पूछा, "राज्य सरकार बच्चों को कैसे सूचित करेगी?"
जस्टिस गवई ने पूछा, "हर जिले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी है, उन्हें नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।"
इस संबंध में जस्टिस राव ने सुझाव दिया-
"अगर हम जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग कार्यकर्ता बना सकते तो वे गांव के स्तर पर व्यक्तिगत रूप से जरूरतमंद अभिभावकों से बात करते। हमें नहीं पता कि कितने जरूरतमंद लोग अखबार पढ़ रहे होंगे।"
बेंच ने निर्देश दिया
"एनसीपीसीआर की ओर से दिए गए सुझावों के कार्यान्वयन के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) नियमों की धारा 2 बी (2) के तहत अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। आगे सुझाव दिया जाता है कि प्रत्येक जिले के नोडल अधिकारियों को उन बच्चों की पहचान करनी चाहिए, जो स्कूल नहीं जा रहे हैं और स्कूल छोड़ चुके हैं।
हम राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को शिक्षा विभाग या महिला एवं बाल कल्याण विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देते हैं, जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आदि को निर्देश देंगे कि वे उन माता-पिता को व्यक्तिगत रूप से एनसीपीसीआर द्वारा की गई सिफारिशें की जानकारी दें, जिनके बच्चों ने स्कूल आना बंद कर दिया है। जिन बच्चों की पढ़ाई जारी है, उन्हें स्कूलों में वापस लाने के लिए भी नोडल अधिकारी तत्काल कार्रवाई करेंगे।
कोर्ट ने कहा,
"एनसीपीसीआर की ओर से दिए गए सुझावों और इस अदालत की ओर से पारित आदेशों का राज्य सरकार व्यापक प्रचार-प्रसार करे।"
[शीर्षक: In Re: Children in Street Situations SMW(C) 6 of 2021 and In Re Children in Need of Care and Protection Due to Loss of Parents During COVID-19 SMW(C) 4 of 2020]