हैदराबाद एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक जांच आयोग द्वारा दिसंबर 2019 की कथित हैदराबाद मुठभेड़ में हुई हत्याओं की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अनुमति दी।
भारत के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली एक पीठ ने तेलंगाना राज्य की मांग को खारिज कर दिया कि रिपोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए।
इसके साथ ही कोर्ट रिपोर्ट की प्रतियों को याचिकाकर्ताओं के साथ साझा करने की अनुमति दी, जिन्होंने मुठभेड़ की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका दायर की है।
पीठ ने मामले को वापस तेलंगाना हाईकोर्ट को भी सौंप दिया।
12 दिसंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2019 को हैदराबाद में चार आरोपी व्यक्तियों के कथित एनकाउंटर का कारण बनने वाली परिस्थितियों की जांच के लिए पूर्व एससी जज जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग के गठन का निर्देश दिया और इसमें बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रेखा बलदोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन को शामिल किया गया था, जिन पर पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया गया था।
जांच के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। शुक्रवार को जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मामले को आगे की कार्रवाई के लिए हाईकोर्ट में भेजने का इरादा व्यक्त किया।
राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध किया।
सीजेआई रमाना ने कहा,
"गोपनीय रखने के लिए कुछ भी नहीं है। आयोग ने किसी को दोषी पाया है। हम मामले को हाईकोर्ट में भेजना चाहते हैं। यह एक सार्वजनिक जांच है।"
सीजेआई ने व्यक्त किया कि रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा किया जाना है।
सीजेआई ने कहा,
"एक बार रिपोर्ट आने के बाद, इसका खुलासा करना होगा।"
जब दीवान ने कहा कि अदालत ने अतीत में रिपोर्टों को सील करने की अनुमति दी है, तो सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में, अदालत ने ऐसा किया है। सीजेआई ने आगे कहा कि यह एक एनकाउंटर केस है।