आईपीसी की धारा 375 के तहत महिला पर बलात्कार का मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने विधवा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात पर संदेह जताया कि क्या किसी महिला पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के तहत बलात्कार और आईपीसी की धारा 376डी के तहत सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ 61 वर्षीय विधवा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर आईपीसी की धारा 376 (2)एन, धारा 342, धारा 323 और धारा 506 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया। महिला को उसके छोटे बेटे के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले में सह-अभियुक्त के रूप में फंसाया गया।
आईपीसी की धारा 376(2)एन में एक ही महिला से बार-बार बलात्कार करने पर सजा का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रिया पटेल बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया कि आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार केवल पुरुष द्वारा ही किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को 4 सप्ताह के बाद पोस्ट किया। तब तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी गई।
जब याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि 2006 के फैसले के अनुसार, किसी महिला पर सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता, तो जस्टिस रॉय ने पूछा कि सामूहिक बलात्कार से संबंधित धारा 376 डी में 'व्यक्ति' क्यों कहा गया है, जबकि इसे सीधे 'पुरुष' कहा जा सकता था।
आईपीसी की धारा 376डी इस प्रकार है:
आईपीसी की 376डी सामूहिक बलात्कार- जहां महिला के साथ एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा बलात्कार किया जाता है, जो ग्रुप बनाते हैं या सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में काम करते हैं, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को बलात्कार का अपराध माना जाएगा और उसे उस अवधि के लिए कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जो बीस वर्ष से कम नहीं होगा। लेकिन इसे जीवन तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास और जुर्माना होगा।
जस्टिस करोल ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
'आपको इसमें हमारी सहायता करनी चाहिए। हमें आश्चर्य है कि यह विधायकों का ध्यान भटक गया।'
मामले के तथ्यों के अनुसार, फेसबुक के माध्यम से मुलाकात के बाद शिकायतकर्ता शुरू में विधवा के बड़े बेटे के साथ लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में है, जो यूएसए में रहता है। वीडियो कॉल के माध्यम से 'विवाह' समारोह आयोजित करने के बाद शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता विधवा के साथ रहना शुरू कर दिया। विधवा की याचिका में कहा गया कि शिकायतकर्ता अपने बड़े बेटे से कभी नहीं मिली। इसी बीच विधवा का छोटा बेटा पुर्तगाल से उनसे मिलने आया।
विधवा की याचिका में कहा गया कि बाद में शिकायतकर्ता और उसके परिवार ने उस पर अपने बड़े बेटे और शिकायतकर्ता के बीच अनौपचारिक विवाह को समाप्त करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। पंचायत के समक्ष एक समझौतानामा हुआ और शिकायतकर्ता को 11,00,000/-, रुपये का भुगतान किया गया।
इसके बाद शिकायतकर्ता के कहने पर छोटे बेटे और विधवा के खिलाफ बलात्कार और अन्य आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई।
याचिकाकर्ता के वकील: ऋषि मल्होत्रा.
केस टाइटल: कमलजीत कौर बनाम पंजाब राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 15265/2023