हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधीनस्थ नहीं, वे संवैधानिक कोर्ट हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधीनस्थ नहीं, वे संवैधानिक कोर्ट हैं।
भारतीय संविधान के तहत, संविधान की व्याख्या करने और न्यायिक समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने की शक्ति का प्रयोग केवल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स द्वारा किया जाता है। ये संवैधानिक न्यायालय हैं।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए पटना उच्च न्यायालय को समयबद्ध कार्यक्रम के भीतर याचिकाकर्ता की लंबित रिट याचिका पर फैसला करने का निर्देश देने की मांग करते हुए ये बात कही।
खंडपीठ ने ये भी कहा कि जब लंबित मामलों की बात आती है तो हर उच्च न्यायालय का अलग परिदृश्य होता है।
बेंच ने कहा,
"यहां यह ध्यान दिया जा सकता है कि उच्च न्यायालय भी एक संवैधानिक न्यायालय है और इस न्यायालय के अधीनस्थ नहीं है। जब पुराने मामलों के लंबित होने की बात आती है तो हर उच्च न्यायालय का परिदृश्य अलग होता है।”
पीठ ने कहा कि संबंधित उच्च न्यायालय मामलों की लंबितता को देखते हुए अपनी प्राथमिकताएं तय करेगा और याचिकाकर्ता का एकमात्र उपाय संबंधित उच्च न्यायालय में अपने मामले की सुनवाई में प्राथमिकता का अनुरोध करना होगा।
कोर्ट ने कहा,
"यह अंततः संबंधित उच्च न्यायालय के लिए लंबित मामलों पर विचार करने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करने के लिए है। याचिकाकर्ता ये कर सकता है कि अपने मामले की सुनवाई को प्राथमिकता देने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन करे।"
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा,
'इस याचिका में कोई राहत नहीं दी जा सकती।'