एक बार जब हाईकोर्ट रिट याचिका स्वीकार कर लेता है तो वह वैकल्पिक उपाय का हवाला देते हुए अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना पर विचार करने से इनकार नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-10-23 08:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश पर आश्चर्य व्यक्त किया है जिसने पहले एक रिट याचिका स्वीकार की लेकिन फिर इस आधार पर अंतरिम राहत की प्रार्थना पर विचार करने से इनकार कर दिया कि पार्टी के पास वैकल्पिक उपाय उपलब्ध था।

शीर्ष अदालत ने मामले को हाईकोर्ट को वापस भेजते हुए यह विचार करने का निर्देश दिया कि अंतरिम राहत देने की जरूरत है या नहीं।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि मामला स्वीकार होने के बाद अंतरिम राहत देने या इनकार करने के सवाल पर विचार नहीं करके हाईकोर्ट अपने निहित क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने में विफल रहा।

बेंच ने कहा,

“यदि हाईकोर्ट ने पाया है कि मामला स्वीकार करने योग्य है तो वैकल्पिक उपाय होने के आधार पर अंतरिम राहत देने या इनकार करने के संबंध में मुद्दे पर विचार न करने का कोई सवाल ही नहीं था। जब हाईकोर्ट को पता चलता है कि मामले में योग्यता है और इसे स्वीकार करता है, तो यह भी विचार करने के लिए बाध्य है कि क्या अंतरिम राहत दी जानी चाहिए थी या नहीं।"

शीर्ष अदालत का विचार था कि इस आधार पर अंतरिम राहत न देना कि कोई वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है, मामले को स्वीकार करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के पहले भाग के विपरीत है।

केस टाइटल : एसेट्स केयर एंड रिकंस्ट्रक्शन एंटरप्राइजेज लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य।

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