क्या थियेटर मालिकों ने इंटरटेनमेंट टैक्स में छूट का लाभ फिल्म देखने वालों को दिया है? सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से फैसला करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में तेलंगाना उच्च न्यायालय को ये विचार करने के लिए एक मामला वापस भेज दिया कि क्या राज्य में थियेटर मालिकों ने इंटरटेनमेंट टैक्स में छूट का लाभ फिल्म देखने वालों को दिया है या नहीं
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की खंडपीठ 2019 में पारित उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ एक चुनौती पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में चार सरकारी आदेश का जिक्र था, जिनके द्वारा राज्य सरकार ने आंध्र प्रदेश मनोरंजन कर अधिनियम, 1939 की धारा 8 के तहत थिएटर प्रबंधन को मनोरंजन कर के भुगतान से छूट दी थी।
उच्च न्यायालय के समक्ष, सिने प्रेक्षाकुल विनियोग दारुला संघम द्वारा दायर जनहित याचिका में शिकायत ये थी कि थिएटरों ने कर छूट का लाभ उठाया, लेकिन उन्होंने सिनेमा देखने वालों को इसका लाभ नहीं दिया।
उच्च न्यायालय ने याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि याचिका की सब्जेक्ट मैटर यानी जीओ, निरर्थक हो गई है। समय के प्रवाह से समाप्त हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि हाईकोर्ट का ये तरीका सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"याचिका में मांगी गई राहत के संबंध में, उच्च न्यायालय ने याचिका को निष्फल मानकर गलती की है। हम अपील की अनुमति देते हैं और 23 अक्टूबर 2019 के विवादित आदेश को रद्द करते हैं। रिट याचिका को नए सिरे से निपटान के लिए तेलंगाना राज्य हाईकोर्ट के पास वापस भेज रहे हैं।“
इसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट से तीन महीने में मामले का निस्तारण करने को कहा।