हरियाणा में आयोजित दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में हुआ 6 लाख से ज़्यादा मामलों का निपटारा

Update: 2025-07-14 07:16 GMT

हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (HALSA) ने 12 जुलाई, 2025 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की जज एवं HALSA की कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस लीसा गिल के मार्गदर्शन में वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह लोक अदालत हरियाणा के सभी 22 ज़िलों और 34 उप-मंडलों में ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरणों (DLSA) के माध्यम से आयोजित की गई।

इसमें एक प्रमुख उपलब्धि कश्मीर बनाम सिमर नामक 11 साल पुराने आपराधिक मामले का निपटारा है, जो करनाल ज़िला न्यायालय में लंबित था। करनाल में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में इस मामले का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया और इसकी अध्यक्षता रजनीश कुमार शर्मा, अपर ज़िला एवं सेशन जज, करनाल ने की थी।

समय पर और सहानुभूतिपूर्ण न्याय प्रदान करने का एक और उल्लेखनीय उदाहरण, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) का अजय बनाम कुबेर और ICICI लोम्बार्ड इंश्योरेंस कंपनी नामक मामला है, जो 2020 से लंबित है, क्योंकि याचिकाकर्ता को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था। मामले की तात्कालिकता और संवेदनशीलता को समझते हुए जिला एवं सेशन जज-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), फरीदाबाद ने समाधान की सुविधा के लिए सक्रिय कदम उठाए और लोक अदालत की व्यवस्था के तहत अदालत परिसर में मौजूद एक चिकित्सा विशेषज्ञ ने याचिकाकर्ता की तुरंत जांच की और 41% की सीमा तक स्थायी विकलांगता का आकलन किया।

इस तत्काल मूल्यांकन ने सार्थक बातचीत को सक्षम किया।

मामला 6,50,000 की राशि पर सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया, जो याचिका में किए गए 3,00,000 के प्रारंभिक दावे से काफी अधिक है। आज की लोक अदालत में लोक अदालत-पूर्व बैठकें भी शामिल हैं। इनमें 644246 मामलों का निपटारा हुआ, जो सुलभ और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए HALSA और न्यायपालिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बता दें, इस दौरान विभिन्न न्यायालयों में मुकदमे-पूर्व और लंबित मामलों की सुनवाई के लिए कुल 170 पीठों का गठन किया गया था, जिनमें दीवानी विवाद, वैवाहिक मामले, मोटर दुर्घटना दावे, बैंक वसूली मुकदमे, चेक बाउंस मामले, यातायात चालान, समझौता योग्य आपराधिक अपराध और स्थायी लोक अदालतों (जनोपयोगी सेवाएँ) के समक्ष लंबित मामले जैसे विविध मामले शामिल थे। 8 लाख से अधिक मामले निपटारे के लिए इन पीठों को भेजे गए।

राष्ट्रीय लोक अदालतों के आयोजन का उद्देश्य जनता को बिना किसी देरी या लंबी मुकदमेबाजी के विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लागत प्रभावी और कुशल मंच प्रदान करना है। लोक अदालतों में पारित निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होते हैं और वादकारियों को निपटाए गए मामलों में अदालती शुल्क की वापसी का भी लाभ मिलता है।

Tags:    

Similar News