यूपी प्रशासन को बैनर हटाने के निर्देश देने वाले इलाहबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट, FIR दर्ज

Update: 2020-03-13 08:48 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा के खिलाफ सोशल मीडिया पर मानहानि और अपमानजनक पोस्ट और टिप्पणियों के संबंध में गुरुवार को लखनऊ में एक एफआईआर दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश प्रशासन को लख़नऊ शहर के चौराहों से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के नाम और पते वाले बैनर को हटाने के निर्देश देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा के खिलाफ सोशल मीडिया पर कई अपमानजनक पोस्ट और टिप्पणियां के गईं।

इसके खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में आरटीआई कार्यकर्ता डॉक्टर नूतन ठाकुर ने अज्ञात लोगों के खिलाफएफआईआर दर्ज करवाई है।

सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में यूपी पुलिस द्वारा लगाए गए सभी पोस्टरों और बैनरों को हटाने का आदेश दिया था। इन बैनरों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन ले दौरान हिंसा फैलाने के आरोपी व्यक्तियों के नाम और फोटो वाले बैनर लगाए थे। न्यायालय ने इन्हें हटाने का आदेश दिया।

न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को 16 मार्च तक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने रविवार को एक विशेष बैठक में लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीर और विवरणों वाले बैनर लगाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की खिंचाई की ।

एफआईआर में ठाकुर ने आरोप लगाया है कि अज्ञात आरोपी व्यक्ति हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी कर रहे थे। उन्होंने कुछ टिप्पणियों के स्क्रीनशॉट और ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे अपमानजनक हैशटैग की लिस्ट प्रस्तुत की।

एफआईआर के अनुसार ये टिप्पणियां जजों के नाम लेकर की गईं और उन पर कानून और नागरिकता की रक्षा के बजाय दंगों को बढ़ावा देने का आरोप ऐसी टिप्पणियों में लगाया गया।

ठाकुर ने कहा है कि सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट संवैधानिक व्यवस्था पर एक प्रहार है और इससे राज्य में नफरत का माहौल पैदा हो गया है।

तदनुसार, मानहानि के लिए आईपीसी की धारा 500, अज्ञात संचार द्वारा आपराधिक धमकी के लिए आईपीसी की धारा 507 और आईटी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 66 के तहत आपत्तिजनक संदेशों को प्रसारित करने के लिए एफआईआर दर्ज करवाई गई है।

एफआईआर पढ़ेंं



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