पहले निजी गवाहों का परीक्षण करें; एक ही दिन मुख्य गवाही और जिरह को पूरा करने का प्रयास करें: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा

Update: 2022-02-08 05:24 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट जहां तक संभव हो, निजी गवाहों से एक ही दिन में मुख्य परीक्षण और क्रॉस-एक्जामिनेशन (जिरह) पूरी करने का प्रयास करेंगे।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने एक आपराधिक अपील का निपटारा करते हुए कहा,

"हम उम्मीद करेंगे कि ट्रायल कोर्ट सरकारी गवाहों की गवाही से पहले निजी गवाहों की गवाही लेगी।"

कोर्ट ने कहा कि मुख्य गवाही के पूरा होने के बाद दिए गए लंबे स्थगन, बचाव पक्ष को बीतते समय के साथ कई बार उन गवाहों पर प्रभावी होने में मदद करते हैं।

इस मामले में, एक गवाह ने अपनी मुख्य गवाही के दौरान घटना का जिक्र किया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद क्रॉस-एक्जामिनेशन (जिरह) में उसने कोर्ट के समक्ष की गई अपनी मुख्य गवाही के तथ्यों पर विवाद किया था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया था। हाईकोर्ट ने अपील में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

उनकी अपील को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि 'विनोद कुमार बनाम पंजाब सरकार, (2015) 3 एससीसी 220' मामले में यह कोर्ट पहले से ही एक ऐसी स्थिति से निपट चुका है, जहां एक गवाह अभियोजन पक्ष के बयान के अनुरूप गवाही देने के बाद पूरी तरह से मुकर गया था और ऐसा लंबे स्थगन की वजह से तिकड़म के कारण हुआ था।

इस संबंध में बेंच ने कहा:

"हर रोज, हम ऐसे मामलों की खेदजनक स्थिति देख रहे हैं, जिनमें निजी गवाह स्पष्ट कारणों से मुकर जाते हैं। इस कोर्ट ने पहले ही इस तरह के खतरे को कम करने के लिए एक विधायी उपाय की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। इस कोर्ट द्वारा 'विनोद कुमार' (सुप्रा) मामले में जारी उपरोक्त निर्देशों के बावजूद, हम इस तथ्यात्मक परिदृश्य का न्यायिक संज्ञान लेते हैं कि निचली अदालतें निजी गवाहों की जिरह को बिना किसी तुक या कारण के मुख्य गवाही के समापन के बाद स्थगित कर रही हैं। मुख्य गवाही के पूरा होने के बाद लंबे समय तक स्थगन दिया जा रहा है, जिससे समय बीतने के साथ बचाव पक्ष को ही जीतने में मदद मिलती है। इस प्रकार, हम यह दोहराना उचित समझते हैं कि जहां तक संभव हो ट्रायल कोर्ट निजी गवाहों की मुख्य गवाही और जिरह दोनों एक ही दिन में पूरा करने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार की समस्या से आगे भी निपटने के लिए निचली कोर्ट से उम्मीद की जाएगी कि वे सरकारी गवाहों की गवाही से पहले निजी गवाहों की गवाही की प्रक्रिया पूरी करेंगी। इस निर्णय की एक प्रति संबंधित उच्च न्यायालयों क माध्यम से सभी निचली अदालतों को भेजी जाएगी।"

कोर्ट ने कहा कि एक गवाह उस पार्टी के पक्ष में आगे भी गवाही दे सकता है जिसके पक्ष में उसने अपनी मुख्य गवाही दी है, जबकि बाद में वह विपरीत पक्ष के पक्ष में अपना विचार बदल सकता है। इसी तरह, ऐसे मामले भी होंगे जहां एक गवाह मुख्य गवाही से ही पार्टी के मामले का समर्थन नहीं करता है।

"इस वर्गीकरण को न्यायालय द्वारा ध्यान में रखा जाना है। पहली श्रेणी के संबंध में, कोर्ट को ऐसे गवाह द्वारा दिए गए साक्ष्य का उचित मूल्यांकन करने की अपनी शक्ति से वंचित नहीं किया गया है। यहां तक कि एक मुख्य परीक्षण को भी सबूत कहा जा सकता है। ऐसे सबूत जिरह के बाद पूरे हो जाएंगे। एक बार गवाही प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद, उक्त गवाही पूरी तरह से कोर्ट के लिए तथ्यों के आधार पर आकलन और समीक्षा करने के लिए होती है। इसलिए, न केवल विशिष्ट हिस्सा, जिसमें एक गवाह मुकर गया है लेकिन जिन परिस्थितियों में यह हुआ, उस पर भी विचार किया जा सकता है, विशेष रूप से ऐसी स्थिति में जहां मुख्य गवाही पूरी हो गई थी और बाद के बयान के पीछे के कारणों का संकेत देने वाली परिस्थितियां हैं, जिन्हें अदालत द्वारा समझा जा सकता है। यह पूरी तरह से कोर्ट की शक्तियों के अधीन है कि जो मामला उसके सामने आया है उसका सही आकलन हो और सही निष्कर्ष दिया जाए।"

केस का नाम : राजेश यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार

साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (एससी) 137

केस नं.|तारीख: सीआरए 339-340/2014 | 6 फरवरी 2022

कोरम: जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश

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