किसी आपराधिक मामले में इकलौते गवाह के साक्ष्य की गहन छानबीन की आवश्यकता : सुप्रीम कोर्ट

क्या एक संदिग्ध गवाह के सबूत साक्ष्य के लिए पर्याप्त हो सकते हैं? हमारे पास इसके लिए सतर्कता एक शब्द हो सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि इकलौते चश्मदीद गवाह पर भी भरोसा किया जा सकता है अगर आसपास की परिस्थितियों के साथ-साथ विश्वसनीय प्रकृति के साक्ष्य भी मौजूद हैं। इसलिए हम एक इकलौते गवाह के साक्ष्य की जांच के लिए कहेंगे।

Update: 2019-08-07 11:26 GMT

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने ये टिप्पणी उच्च न्यायालय द्वारा दी गई सजा के खिलाफ [जगदीश बनाम हरियाणा राज्य ] अपील पर विचार करते हुए की और कहा :

"क्या एक संदिग्ध गवाह के सबूत साक्ष्य के लिए पर्याप्त हो सकते हैं? हमारे पास इसके लिए सतर्कता एक शब्द हो सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि इकलौते चश्मदीद गवाह पर भी भरोसा किया जा सकता है अगर आसपास की परिस्थितियों के साथ-साथ विश्वसनीय प्रकृति के साक्ष्य भी मौजूद हैं। इसलिए हम एक इकलौते गवाह के साक्ष्य की जांच के लिए कहेंगे। "

इस मामले में मृतक पर रात के दौरान 13 व्यक्तियों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था और इस मामले में केवल एक गवाह था जो एक महिला थी। पीठ ने माना कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में सच्चाई के रूप में उसके बयान को स्वीकार करना सुरक्षित नहीं होगा। पीठ ने कहा:

"अगर PW -1 अपनी भाभी के साथ अकेले पुलिस थाने में गई थी तो उसे स्पष्टीकरण देना पड़ेगा कि छह घंटे की देरी क्यों हुई। समय की कठोर वास्तविकताओं को देखते हुए हम इसे स्पष्ट रूप से पाते हैं कि ये असंभव है कि दो महिलाएं घनी रात के उस पहर में किसी भी पुरुष के बिना पुलिस स्टेशन में गईं। ये पहले से पक्षकारों के बीच आपराधिक मामलों के बीच मौजूद दुश्मनी की पृष्ठभूमि में और महत्वपूर्ण बन जाता है। इसलिए मामले के तथ्यों से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता है। "

अभियुक्तों को बरी करते हुए पीठ ने कहा कि इकलौते संदिग्ध गवाह के झूठे साक्ष्य पर उन्हें फंसाने के गलत निहितार्थ को खारिज नहीं किया जा सकता।  


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