सुनिश्चित करें कि गंगा नदी से सटे कोई और निर्माण न हो: सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि गंगा नदी के किनारे, खासकर पटना और उसके आसपास कोई और निर्माण न हो।
न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया कि वह 213 चिन्हित अवैध संरचनाओं को हटाने की प्रगति के बारे में उसे रिपोर्ट करे, जो कि पटना में गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनाई गई हैं।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने एनजीटी के आदेश से उत्पन्न अपील में यह आदेश पारित किया, जिसमें 2020 में पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा के मूल आवेदन का निपटारा किया गया था। इसमें कॉलोनियों के अवैध निर्माण, ईंटों भट्टियां और अन्य संरचनाओं की स्थापना को चुनौती दी गई, जिनमें बिहार सरकार द्वारा बनाई गई 1.5 किलोमीटर की सड़क भी शामिल है, जो कि पटना में गंगा के पारिस्थितिक रूप से नाजुक बाढ़ के मैदानों पर है, जो उपमहाद्वीप में डॉल्फ़िन के सबसे समृद्ध आवासों में से एक है।
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 के पूर्ण उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अपील दायर की गई।
अपीलकर्ता की ओर से बहस करते हुए एडवोकेट आकाश वशिष्ठ ने खंडपीठ को बताया कि बिहार सरकार सक्रिय रूप से गंगा बाढ़ के मैदानों पर हर दिन अवैध निर्माण की अनुमति दे रही है।
एडवोकेट वशिष्ठ ने प्रस्तुत किया,
"प्राथमिक चिंता यह है कि वे सबसे अधिक प्रभावित और क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का सर्वेक्षण नहीं कर रहे हैं। पटना का लगभग पूरा भूजल आर्सेनिक संदूषण से प्रभावित है, जो अत्यधिक कैंसरकारी तत्व है। इसलिए पटना शहर की पीने के पानी की जरूरतें स्वास्थ्य पर निर्भर हैं।''
अदालत ने पश्चिम बंगाल और झारखंड में गंगा की स्थिति जानना चाहा और कहा कि वह दोनों राज्यों को शामिल करने के लिए अपील का दायरा बढ़ाएगी। अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सुश्री ऐश्वर्या भाटी को उस संबंध में निर्देश लेने और अगली तारीख 05.02.2024 को अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: अशोक कुमार सिन्हा बनाम भारत संघ | सिविल अपील नंबर 3367/2020
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