जिला जजों की नियुक्तिः सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सीमित प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से केवल 10% पद भरे जा सकते हैं

Update: 2023-03-13 16:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन व अन्य बनाम यूओआई और अन्य (2010) 15 एससीसी 170 मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया, विशेष रूप से वो निर्देश, जिसके तहत हाईकोर्ट को सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के जर‌िए भरने के लिए उच्च न्यायपालिका में केवल 10% सीटें आरक्षित करने के लिए कहा गया है।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने हाईकोर्ट को यह देखने का निर्देश दिया कि क्या एक नवंबर, 2022 के बाद किसी भी भर्ती में 10% कोटा का उल्लंघन किया गया था और यदि ऐसा किया गया है तो ऐसे सभी पदों को भविष्य की भर्तियों में समायोजित किया जाना था।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि ऑल इंडिया जजेज एसो‌‌‌स‌िएशन और अन्य बनाम यूओआई और अन्य 2010 के जर‌िए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्टों को उच्च न्यायपालिका में 10% सीटों को आरक्षित करके पदों को भरने का निर्देश दिया था। आरक्षित पदों को सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा द्वारा भरा जाना था। हालांकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोटा पार कर लिया।

इसके अलावा, हाईकोर्ट ने अपने सेवा नियमों में संशोधन नहीं किया जैसा कि एक नवंबर, 2011 से संशोधित करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता को वारंटो रिट मांगने के हकदार नहीं हैं। हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई।

सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन और अन्य बनाम यूओआई और अन्य में निर्देश दिया कि उच्च न्यायपालिका में बार से सीधी भर्ती के लिए 25% सीटें होनी चाहिए; सिविल जज की नियमित पदोन्नति से 65% सीटें भरी जानी हैं; और सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा 10% सीटें भरी जानी चा‌हिए। इसने आगे निर्देश दिया था कि, यदि 10% सीटें किसी भी कारण से सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा भरी जा सकती हैं, तो रिक्त पदों को सेवा नियमों के अनुसार नियमित पदोन्नति द्वारा भरा जाना था।

उसी के मद्देनजर हाई कोर्ट को एक नवंबर, 2022 से सेवा नियमों में संशोधन के निर्देश जारी किए गए थे। इसमें यह भी कहा गया था कि यदि नियमों में उचित संशोधन नहीं किया गया तो एक नवंबर, 2011 के बाद की भर्तियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश प्रभावी होंगे।

खंडपीठ ने पाया कि 2010 के फैसले में पारित निर्देशों के मद्देनजर सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा द्वारा केवल 10% सीटें ही भरी जा सकती हैं।

वर्तमान मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए खंडपीठ ने कहा कि 2017 में 740 पद स्वीकृत किए गए थे और इसलिए 2010 के फैसले के अनुसार 74 सीटें सीमित विभागीय परीक्षा से भरी जा सकती थीं।

हालांकि, उक्त मोड से 78 सीटें भरी गईं। इसके बाद 11 और पद विज्ञापित किए गए और 5 भरे गए। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने सीमित विभागीय परीक्षा द्वारा भरी जाने वाली सीटों के लिए 10% कोटा को पार कर लिया था। यह देखते हुए कि रिट याचिकाकर्ता वर्ष 2017 के लिए चयनित/नियुक्त उम्मीदवार नहीं हैं और हाईकोर्ट द्वारा उनकी स्थिति का विरोध किया गया था, खंडपीठ ने कहा कि उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती है।

केस टाइटलः राजेंद्र कुमार श्रीवास बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य।। 2023 LiveLaw (SC)181 |2023 की सिविल अपील नंबर 1514| 13 मार्च, 2023| जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार

साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एससी) 181


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