DGP के चयन संबंधी नियमों में बदलाव की पांच राज्यों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में पुलिस महानिदेशक ( DGP) के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करने से इनकार करते हुए राज्य सरकारों की याचिका खारिज कर दी है।
दरअसल पंजाब, हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार सरकार ने राज्य में DGP नियुक्त करने के नियम में बदलाव की गुहार लगाई थी, लेकिन ऐसा करने से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इनकार कर दिया।
बुधवार को पीठ ने कहा कि ये नियम इसलिए बनाया गया है ताकि राज्यों के DGP, राजनीतिक दखल से दूर रहें। दरअसल इन राज्यों ने याचिका दी थी कि DGP के चयन की सूची, UPSC द्वारा दिए जाने के नियम में बदलाव हो क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। उनकी दलील थी कि ये काम राज्य की कमेटी को सौंपा जाना चाहिए।
इससे पहले 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के DGP का कार्यकाल 31 जनवरी तक बढ़ा दिया था।
गौरतलब है कि 3 जुलाई 2018 को देशभर में पुलिस सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया था कि वो कहीं भी कार्यकारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त नहीं करेंगे।
पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कार्यकारी DGP नियुक्त करना, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि राज्य, DGP का पद रिक्त होने से तीन महीने पहले UPSC को वरिष्ठ IPS अफसरों की सूची भेजेंगे और राज्य उसी अफसर को DGP बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
दरअसल केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि ज्यादातर राज्य, रिटायर होने की कगार पर पहुंच चुके अफसरों को कार्यकारी DGP नियुक्त करते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर उन्हें नियमित DGP बना देते हैं क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं।
वेणुगोपाल ने कहा कि केवल पांच राज्य, तमिलनाडु, आंध्र-प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही वर्ष 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए UPSC से अनुमति ली है, जबकि 25 राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। राज्य, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अपने आदेशों में संशोधन करना चाहिए।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट पुलिस सुधार पर दिए गए आदेश लागू नहीं करने पर दायर की गई अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है। अदालत ने DGP और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश की थी।