Delhi-NCR Air Pollution पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: सालभर निर्माण प्रतिबंध से कोर्ट का इंकार, कहा— आजीविका पर पड़ेगा भारी असर

Update: 2025-11-17 10:28 GMT

दिल्ली–एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि वह सालभर का निर्माण प्रतिबंध जैसे कठोर कदम उठाने के पक्ष में नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश लाखों लोगों की आजीविका पर गहरा प्रभाव डालेगा।

एम.सी. मेहता मामले में सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि स्थिति “आपातकाल” जैसी हो चुकी है और बच्चों के स्वास्थ्य पर अपूरणीय नुकसान हो रहा है। उन्होंने निर्माण, निजी वाहनों पर रोक, कारपूलिंग और कारों पर टैक्स जैसे कठोर उपायों की मांग की। उन्होंने कहा कि एनसीआर में हर दस में तीन मौतें प्रदूषण से जुड़ी हैं और PM 2.5 शरीर से कभी नहीं निकलता।

उनका कहना था कि “GRAP को AQI के कम स्तर पर लागू किया जाना चाहिए, नहीं तो स्थिति सुधरेगी नहीं। अदालत को सख्त कदम उठाने होंगे।”

चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध से इनकार करते हुए कहा कि इससे अर्थव्यवस्था और कामगारों पर गंभीर असर पड़ेगा। ASG ऐश्वर्या भट्टी ने भी कहा कि पूरा निर्माण बंद करने से यूपी–बिहार और अन्य राज्यों से आने वाले दैनिक मजदूरों की आजीविका समाप्त हो जाएगी।

CJI ने केंद्र और दिल्ली सरकार से दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करने को कहा, यह कहते हुए कि “छोटे-छोटे अस्थायी उपाय पर्याप्त नहीं होंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि “सभी गतिविधियाँ बंद करना संभव नहीं, वरना अदालतें भी बंद करनी होंगी।”

कोर्ट पहले ही पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने पर कार्रवाई की रिपोर्ट, और CAQM व CPCB से एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थिति पर जानकारी मांग चुका है।

अक्टूबर में कोर्ट ने दिवाली के लिए ग्रीन क्रैकर्स के सीमित इस्तेमाल की अनुमति दी थी।

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