Apple के वैश्विक टर्नओवर पर जुर्माना लगाने के नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर टली सुनवाई, अब 27 जनवरी को होगी

Update: 2025-12-16 12:36 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को Apple इंक द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई स्थगित की, जिसमें कंपनी ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 में किए गए संशोधन को चुनौती दी। इस संशोधन के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को किसी कंपनी के वैश्विक टर्नओवर के आधार पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2026 को होगी।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने यह आदेश तब पारित किया, जब Apple की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार और CCI द्वारा दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने केंद्र सरकार और CCI को संयुक्त हलफनामा रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया और Apple को उस पर आपत्तियां यदि कोई हों, दाखिल करने की अनुमति दी।

अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों द्वारा सोमवार को काउंटर एफिडेविट दाखिल किया गया और उसे विधिवत रिकॉर्ड पर लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। उल्लेखनीय है कि इस याचिका में नोटिस 1 दिसंबर को जारी किया गया था।

Apple ने अपनी याचिका में कहा है कि संशोधित प्रावधान के तहत CCI को किसी उद्यम के पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत वैश्विक टर्नओवर का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने का अधिकार मिल जाता है। कंपनी का दावा है कि यदि इस प्रावधान को उस पर लागू किया गया तो उस पर संभावित रूप से लगभग 38 अरब अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

Apple ने तर्क दिया कि वैश्विक टर्नओवर के आधार पर इस तरह का जुर्माना लगाना स्पष्ट रूप से मनमाना, असंवैधानिक, अत्यधिक अनुपातहीन और अन्यायपूर्ण है। कंपनी का कहना है कि किसी कथित उल्लंघन के लिए दंड केवल भारत में अर्जित राजस्व या उस विशेष इकाई के कारोबार के आधार पर ही तय किया जाना चाहिए, जिसने प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन किया हो।

याचिका में एक उदाहरण देते हुए कहा गया कि यदि किसी व्यवसाय के कई अलग-अलग क्षेत्र हों तो यह पूरी तरह से अनुचित होगा कि किसी छोटे से उल्लंघन के लिए पूरे कारोबार के टर्नओवर पर जुर्माना लगाया जाए। Apple ने कहा कि यह ऐसा ही होगा जैसे किसी स्टेशनरी व्यवसाय के कुल 20,000 रुपये के टर्नओवर पर जुर्माना लगाया जाए, जबकि कथित उल्लंघन केवल खिलौनों के उस कारोबार से जुड़ा हो जिससे मात्र 100 रुपये की आय होती है।

अब इस महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट 27 जनवरी को आगे की सुनवाई करेगा, जहां वैश्विक टर्नओवर आधारित दंड व्यवस्था की संवैधानिकता और वैधता पर विस्तार से विचार किए जाने की संभावना है।

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