दिल्ली कोर्ट ने अडानी के 'गैग ऑर्डर' के खिलाफ याचिका पर सुनवाई स्थगित की, कहा- एक दिन और लेख प्रकाशित न हों तो क्या हो जाएगा?
दिल्ली कोर्ट ने बुधवार को पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई स्थगित की, जिसमें ट्रायल कोर्ट के 6 सितंबर के एकतरफा आदेश को चुनौती दी गई। इस आदेश में उन्हें अडानी समूह के बारे में खबरें प्रकाशित करने से रोक दिया गया।
रोहिणी कोर्ट के जिला जज राकेश कुमार सिंह रोस्टर जज की छुट्टी के कारण लिंक जज के रूप में मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने मामले की योग्यता पर सुनवाई करने से इनकार किया। मामले को अब कल (शुक्रवार) सुबह 10 बजे रोस्टर जज के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
गुहा के वकील सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने आज (गुरुवार) ही मामले को सूचीबद्ध करवाया है, क्योंकि यह आदेश गुहा की वेबसाइटों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि एकतरफा आदेश पूरी तरह से मनमाना" है, क्योंकि यह 2017 से सार्वजनिक डोमेन में मौजूद लेखों के खिलाफ पारित किया गया और इसमें यह नहीं बताया गया कि क्या मानहानिकारक है।
जज ने पेस से पूछा कि अगर उनके मामले की सुनवाई एक दिन बाद होती है तो उन्हें कोई खास नुकसान नहीं होगा।
जज ने मौखिक रूप से पूछा,
"आदेश को 11 दिन हो गए हैं। आप 10 घंटे और इंतजार क्यों नहीं कर सकते? अगर आप एक दिन और इसे प्रकाशित नहीं करते हैं तो क्या आसमान टूट जाएगा?"
जब पेस ने जोर देकर कहा कि मामला अत्यावश्यक है तो जज ने फिर पूछा,
"क्या यह जीवन और मृत्यु का मामला है? यह ऐसा नहीं है कि केवल इन लेखों को हटाने से आपका व्यवसाय खत्म हो जाएगा। यह एक दिन में खत्म नहीं होने वाला है।"
पेस ने दावा किया कि सरकार ने उन सभी यूआरएल को हटाना शुरू कर दिया, जिनका याचिका में जिक्र भी नहीं किया गया।
अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से सीनियर एडवोकेट अनुराग अहलूवालिया ने कोर्ट को बताया कि सिविल जज ने लेखों को हटाने के लिए 5 दिन का समय दिया था, जो 11 सितंबर को समाप्त हो गया।
उन्होंने कहा,
"वे पहले से ही अदालत की अवमानना में हैं।"
दोनों पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मामले को कल सुबह 10 बजे के लिए स्थगित कर दिया।
निचली अदालत का आदेश
रोहिणी कोर्ट के स्पेशल सिविल जज अनुज कुमार सिंह ने अपने आदेश में प्रथम दृष्टया माना कि पत्रकारों द्वारा अडानी समूह के बारे में प्रकाशित रिपोर्टें मानहानिकारक और असत्यापित हैं।
जज ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पक्ष में पत्रकारों और तीन वेबसाइटों - pranjoy.in, adaniwatch.org और adanifiles.com.au के खिलाफ एकतरफा अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की थी।
कोर्ट ने पत्रकारों को आदेश दिया था कि वे 5 दिनों के भीतर लेखों या सोशल मीडिया पोस्ट से मानहानिकारक सामग्री को हटा दें। कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का भी हवाला दिया, जिसके तहत मध्यस्थों को अदालत के आदेश मिलने के 36 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटाना या उस तक पहुंच को अक्षम करना अनिवार्य है।