दिल्ली में वायु प्रदूषण - उद्योग, बिजली, परिवहन और निर्माण प्रमुख योगदानकर्ता: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया

Update: 2021-11-15 07:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण उद्योग, बिजली, वाहन यातायात और निर्माण हैं, न कि पराली जलाना।

न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के आधार पर कहा,

"हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वायु प्रदूषण में कुछ हिस्सों में पराली जलाने के अलावा निर्माण, उद्योग, परिवहन, बिजली और वाहन यातायात का प्रमुख योगदान है।

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ को बताया कि आंकड़ों के अनुसार किसानों के पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण में 10% से कम योगदान होता है।

कोर्ट ने देखा कि पराली जलाने पर हंगामा वैज्ञानिक या कानूनी आधार के बिना था। पीठ ने कहा कि कुछ महत्वहीन को लक्षित किया गया।

पीठ ने शनिवार को न्यायालय के निर्देशों के बाद रविवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा आयोजित बैठक के परिणाम पर भी असंतोष व्यक्त किया।

पीठ ने कहा कि अधिकांश निर्णय दीर्घकालिक उपायों की प्रकृति के हैं और आपातकालीन कदमों की आवश्यकता है।

पीठ ने आदेश में कहा,

"भले ही टास्क फोर्स द्वारा कुछ निर्णय लिए गए हों, लेकिन इसने यह स्पष्ट रूप से संकेत नहीं दिया है कि प्रदूषण पैदा करने वाले इन कारकों को नियंत्रित करने के लिए वे क्या कदम उठाने जा रहे हैं। आयोग ने यह नहीं बताया है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।"

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायालय को समिति की बैठक के लिए एजेंडा निर्धारित करना है।

न्यायालय ने भारत सरकार को निर्देश दिया कि वह कल एक आपात बैठक बुलाए और उन क्षेत्रों पर चर्चा करे जो उसने कार्यान्वयन प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए संकेत दिए थे।

पीठ ने कहा,

"सभी हलफनामे पराली जलाने के संबंध में प्रदूषण में कम योगदान के संकेत देते हैं। हालांकि पंजाब और हरियाणा में ज्यादा मात्रा में पराली जलाई जा रही है। हम राज्यों के किसानों से अनुरोध करते हैं कि वे दो सप्ताह तक पराली न जलाएं।"

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से सॉलिसिटर जनरल से कहा,

"यह तय करें कि किन उद्योगों को रोका जाना है, किन वाहनों को चलने से रोका जा सकता है।"

पीठ ने केंद्र और एनसीआर राज्यों को कुछ समय के लिए कर्मचारियों के लिए "वर्क फ्रॉम होम" विकल्प देने का भी निर्देश दिया।

केस शीर्षक : आदित्य दुबे (नाबालिग) बनाम भारत संघ एंड अन्य | WP(c) संख्या 1135 ऑफ़ 2020

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