चार्जशीट पेश करने के बाद मेरिट के आधार पर डिफॉल्ट जमानत रद्द की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि चार्जशीट पेश करने के बाद मेरिट के आधार पर डिफॉल्ट जमानत रद्द की जा सकती है।
इस मामले में सवाल उठा कि क्या चार्जशीट पेश करने के बाद डिफॉल्ट जमानत को रद्द किया जा सकता है, जब सीआरपीसी के अनुसार 90 दिनों के भीतर इसे दाखिल नहीं करने की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने वाईएस विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड में एरा गंगी रेड्डी की जमानत रद्द करने की सीबीआई की याचिका पर तेलंगाना हाईकोर्ट को फैसला करने का निर्देश देते हुए कहा,
“इस बात पर कोई रोक नहीं है कि एक बार किसी व्यक्ति को डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा कर दिया जाता है, तो उसे मैरिट और जांच में सहयोग नहीं करने जैसे आधारों से इनकार नहीं किया जा सकता है।“
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि डिफ़ॉल्ट जमानत को मैरिट के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है। यह जांच बलों की सुस्ती या बेईमानी को एक प्रीमियम देगा।
जस्टिस एमआर शाह ने मामले को हाईकोर्ट में भेजते हुए कहा,
"अदालत को अपराध की गंभीरता पर विचार नहीं करने या मामले की मैरिट की जांच करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है जब आरोपी को मैरिट के आधार पर पहले रिहा नहीं किया गया था। जब मजबूत मामला बनता है तो केवल चार्जशीट दाखिल नहीं करना पर्याप्त नहीं होगा।"
अदालत ने सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज और रेड्डी के लिए सीनियर एडवोकेट बी आदिनारायण राव की सुनवाई के बाद पांच जनवरी को सीबीआई की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता विवेकानंद रेड्डी की 15 मार्च 2019 को आंध्र प्रदेश के कडप्पा में उनके आवास पर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।