मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा मामलों में मृतक की वार्षिक आय की गणना के लिए उसके आयकर रिटर्न पर विचार किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा मामलों में मृतक की वार्षिक आय की गणना के लिए उसके आयकर रिटर्न पर विचार किया जा सकता है।
इस मामले में, दावेदारों ने ट्रिब्यूनल के समक्ष मृतक का आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जिसमें मृतक की कुल आय 1,18,261/- रुपये अर्थात लगभग 9855/- रुपये प्रति माह दिखाया गया था। एमएसीटी ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि 2009-2010 से पहले न तो कोई आईटीआर और न ही मृतक की आय के संबंध में कोई अन्य दस्तावेज दाखिल किया गया था। इस प्रकार इसने मृतक की आय को 4000/- रुपये प्रति माह यानी 48,000/- रुपये प्रति वर्ष निर्धारित किया। अपील में, हाईकोर्ट ने भी आईटीआर पर विचार करने से इनकार कर दिया और मृतक की आय 5,000/- रुपये प्रति माह होने का अनुमान लगाया।
इस दृष्टिकोण को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने कहा:
"ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट दोनों ने मृतक की आय का अनुमान लगाते हुए उसके आयकर रिटर्न की अनदेखी करते हुए गंभीर त्रुटि की। अपीलकर्ताओं ने मृतक का आयकर रिटर्न (2009-2010) दाखिल किया था, जो मृतक की वार्षिक आय 1,18,261/- रुपये अर्थात लगभग 9855/- रुपये प्रति माह दर्शाता है। इस कोर्ट ने 'मलारविज़ी और अन्य (सुप्रा)' मामले में एक बार फिर पुष्टि की है कि यदि उपलब्ध हो तो आयकर रिटर्न एक वैधानिक दस्तावेज है, जिस पर वार्षिक आय की गणना के लिए भरोसा किया जा सकता है।"
इसलिए इसने मृतक की वार्षिक आय 1,18,261/- रुपये अर्थात लगभग 9855/- रुपये प्रति माह निर्धारित किया। कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान 'न्यायसंगत और उचित' मुआवजे की अवधारणा को सर्वोपरि महत्व देते हैं।
इसने आगे कहा,
"एमवी अधिनियम की धारा 168 'न्यायसंगत मुआवजे' की अवधारणा से संबंधित है, जिसे निष्पक्षता, तर्कशीलता और समानता के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए। हालांकि इस तरह का निर्धारण कभी भी अंकगणितीय रूप से सटीक या पूर्ण नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी कोर्ट द्वारा यह प्रयास किया जाना चाहिए कि आवेदक द्वारा दावा की गई राशि से इतर न्यायोचित और अनुकूल मुआवजा मिल सके।"
अपील की अनुमति देते हुए, बेंच ने कहा कि दावेदार को देय कुल मुआवजा 25,91,388/- रुपये है।
केस का ब्योरा- अंजलि बनाम लोकेंद्र राठौड़ | 2022 लाइवलॉ (एससी) 1012 | सीए 9014/2022 | 6 दिसंबर 2022 | जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी
हेडनोट्स
मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा - आयकर विवरणी एक वैधानिक दस्तावेज है और यदि यह उपलब्ध है तो इस पर मृतक की वार्षिक आय की गणना के लिए भरोसा किया जाता है। (पैरा 9)
मोटर वाहन अधिनियम, 1988; धारा 168 - 'न्यायसंगत मुआवजे' की अवधारणा जिसे निष्पक्षता, तर्कशीलता और समानता के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए - हालांकि इस तरह का निर्धारण कभी भी अंकगणितीय रूप से सटीक या पूर्ण नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी कोर्ट द्वारा यह प्रयास किया जाना चाहिए कि आवेदक द्वारा दावा की गई राशि के बावजूद न्यायोचित और अनुकूल मुआवजा मिल सके (पैरा 10)
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