सीमा शुल्क विभाग ने कैनन इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की
सीमा शुल्क विभाग ने कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 2021 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है।
कोर्ट ने फैसले में कहा गया था कि राजस्व खुफिया निदेशालय के अधिकारियों के पास सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत शक्तियां नहीं हैं।
कैनन इंडिया मामले के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमाना और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम शामिल है।
अदालत ने 9 मार्च, 2022 के लिए पुनर्विचार याचिका सूचीबद्ध की है।
कैनन इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार द्वारा कार्यों को सौंपे जाने के अभाव में, अधिनियम के तहत राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के एक अधिकारी के पास कार्य करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
साथ ही, अदालत ने कहा था कि अधिनियम की धारा 28 के तहत कारण बताओ नोटिस केवल 'उचित अधिकारी' द्वारा जारी किया जा सकता है, यानी वह अधिकारी जिसने पहली बार में मूल्यांकन किया है, न कि समवर्ती क्षेत्राधिकार वाले किसी अन्य अधिकारी द्वारा।
कैनन इंडिया में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, भारत में कई उच्च न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों ने अधिनियम की धारा 28 के तहत जारी कारण बताओ नोटिस के आधार पर डीआरआई के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही को अमान्य करार दिया था।
नतीजतन, कैनन इंडिया के आधार पर पारित आदेशों के खिलाफ कई अपीलें सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं।
इससे जुड़े एक मामले में भारत संघ ने मैसर्स गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड बनाम भारत संघ (2021) में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जहां कैनन इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उच्च न्यायालय ने अधिनियम की धारा 28 के तहत अतिरिक्त महानिदेशक, राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को अमान्य करार कर दिया था।
उस मामले में, अटॉर्नी जनरल ने प्रस्तुत किया था कि अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), डीआरआई, सीमा शुल्क विभाग के एक अधिकारी हैं और इसलिए अधिनियम की धारा 6 के प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा कार्यों को सौंपने की आवश्यकता प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि एडीजी को अधिनियम की धारा 2 (34) के तहत केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईटी एंड सी) द्वारा अधिकृत किया गया है।
उन्होंने तर्क दिया था कि धारा 28(11) के प्रावधानों के तहत, एडीजी, डीआरआई को अधिनियम की धारा 2(34) की आवश्यकता के बावजूद एक 'उचित अधिकारी' माना जाएगा।
साथ ही, यह प्रस्तुत किया गया कि कैनन इंडिया मामले में धारा 28(11) विचाराधीन नहीं है।
कोर्ट ने देखा कि कैनन इंडिया मामले में फैसले पर सवाल उठाने वाली एक पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए बेंच ने मामले को 8 मार्च, 2022 को प्रस्तुत करने के लिए सूचीबद्ध किया है।
केस का शीर्षक: सीमा शुल्क आयुक्त बनाम कैनन इंडिया (पुनर्विचार याचिका)
आदेश दिनांक: 15.02.2022 (सुप्रीम कोर्ट)
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