जेलों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, राज्यों को नोटिस जारी

Update: 2020-03-16 08:53 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनज़र देश भर की जेलों में बंद कैदियों की चिकित्सा सहायता के लिए स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, महानिदेशकों (कारागार) और सभी राज्यों के सामाजिक कल्याण मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि वे क्या कदम उठा रहे हैं। पीठ ने वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे को एमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया है।

सोमवार को अचानक मामले पर संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

" जेलों में भीड़भाड़ बहुत रहती है। ऐसे में जेलों में क्या हालात हैं ? यदि जेल में कोरोना वायरस प्रकोप होता है, तो यह बहुत बड़ी संख्या को प्रभावित करेगा और यह कोरोना वायरस फैलाने का केंद्र बन सकता है।"

पीठ ने कहा, "क्या हम इस हालात को देखते हुए जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने और जेलों की क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं ?

कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि तिहाड़ जेल जैसी जेलों में भीड़भाड़ को रोकने की कोशिश की जा रही है और अगर किसी व्यक्ति में कोई लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें COVID-19 के परीक्षण के लिए अलग कर दिया जाएगा।

तिहाड़ जेल में एक वार्ड में 40-50 लोगों के कई बैरक हैं, इसलिए, 300-400 लोगों के प्रत्येक वार्ड में हैं। पीठ मामले की सुनवाई 23 मार्च को करेगी। 

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