सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मध्य प्रदेश में कफ सिरफ से हुई मौतों का मामला, CBI जांच की मांग

Update: 2025-10-07 06:44 GMT

मध्य प्रदेश और राजस्थान में ज़हरीले कफ सिरप के सेवन से बच्चों की हाल ही में हुई मौतों के बाद सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की गई, जिसमें इस घटना की स्वतंत्र, अदालत की निगरानी में जांच और दवा सुरक्षा तंत्र की राष्ट्रव्यापी समीक्षा की मांग की गई।

वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर इस याचिका में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) युक्त दूषित कफ सिरप के निर्माण, टेस्ट और वितरण की व्यापक जांच के लिए एक रिटायर सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या एक्सपर्ट कमेटी के गठन की मांग की गई। ये वही ज़हरीले यौगिक हैं जिनसे पहले भी मौतें हुईं।

यह जनहित याचिका मध्य प्रदेश के शिवपुरी और राजस्थान के बाड़मेर से आई चिंताजनक खबरों के बीच आई, जहां तमिलनाडु स्थित एक दवा कंपनी मेसर्स श्रीसन फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत हो गई। स्थानीय अधिकारियों और औषधि नियंत्रण विभागों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में सिरप में संदिग्ध संदूषण की ओर इशारा किया गया, जिससे भारत की औषधि गुणवत्ता नियंत्रण और निर्यात निगरानी प्रणालियों में बार-बार होने वाली खामियों को लेकर चिंताएं फिर से बढ़ गईं।

एडवोकेट तिवारी की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह केंद्र को राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का निर्देश दे, जो घटिया कफ सिरप के प्रचलन को रोकने वाली नियामकीय खामियों की जांच करे और ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस उपाय सुझाए। उनका सुझाव है कि प्रस्तावित निकाय की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज द्वारा की जानी चाहिए और इसमें औषध विज्ञान, विष विज्ञान और औषधि विनियमन के विशेषज्ञ शामिल होने चाहिए।

जनहित याचिका में विभिन्न राज्यों में ज़हरीले कफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मौतों से संबंधित सभी लंबित FIR और जांचों को पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को हस्तांतरित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई ताकि निष्पक्ष और समन्वित जांच सुनिश्चित की जा सके। इसमें तर्क दिया गया कि कई राज्य-स्तरीय जांचों के परिणामस्वरूप जवाबदेही खंडित हो गई, जिससे उपभोक्ताओं तक बार-बार ज़हरीले फ़ॉर्मूले पहुंच रहे हैं।

जनहित याचिका में अधिकारियों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप और श्रीसन फार्मा प्राइवेट लिमिटेड या उसकी संबंधित कंपनियों द्वारा निर्मित किसी भी अन्य उत्पाद के सभी बैचों को "तुरंत वापस लेने, जब्त करने और बिक्री एवं वितरण पर रोक लगाने" का निर्देश देने की भी मांग की गई। याचिकाकर्ता ने मांग की कि इन उत्पादों की आगे बिक्री या निर्यात की अनुमति देने से पहले NABL-मान्यता प्राप्त लैब द्वारा इनका विष विज्ञान टेस्ट और सत्यापन किया जाए।

याचिका में घरेलू खपत और निर्यात दोनों के लिए सभी कफ सिरपों के वितरण-पूर्व गुणवत्ता टेस्ट को अनिवार्य करने और सभी राज्यों में समान सुरक्षा ऑडिट तंत्र स्थापित करने की भी मांग की गई। इसमें केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को अपने निरीक्षण और अनुमोदन प्रोटोकॉल को मजबूत करने के निर्देश देने की भी मांग की गई ताकि DIG और EG जैसे सॉल्वैंट्स वाले औषधीय फॉर्मूलेशन की वास्तविक समय बैच-स्तरीय निगरानी सुनिश्चित हो सके।

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