[ उपभोक्ता संरक्षण ] निष्पादन कार्यवाही में एससीडीआरसी के आदेश के खिलाफ एनसीडीआरसी के समक्ष पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि डिक्री के निष्पादन मामले में एक अपील पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी) के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 21 के तहत पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं होती।
इस मामले में, एनसीडीआरसी ने निष्पादन मामले में जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ अपील पर महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा जारी आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि पुनर्विचार याचिकाएं किसी उपभोक्ता विवाद में राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ ही सुनवाई योग्य होती हैं, न कि आदेश पर अमल मामले में।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज करते हुए कहा :
"कर्नाटक हाउसिंग बोर्ड बनाम के. ए. नागमणि' मामले में इस कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के मद्देनजर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग इस निष्कर्ष पर सही पहुंचा है कि निष्पादन कार्यवाही से उत्पन्न मामले में एक अपील पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा दिये गये आदेश के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 21 के तहत पुनर्विचार याचिका सुनवाई योग्य नहीं होती।"
सुप्रीम कोर्ट ने के. ए. नागमणि मामले में इस प्रकार कहा था : "निष्पादन कार्यवाही (किसी मामले में) आदेश पर अमल के लिए पृथक एवं स्वतंत्र कार्यवाही है। दावे या विवाद के गुण-दोष (मेरिट) पर निष्पादन कार्यवाही के दौरान विचार नहीं किया जा सकता। यह मूल विवाद से संबंधित आदेश पर अमल को लेकर डिक्री होल्डर की ओर से की गयी स्वतंत्र कार्यवाही है। निष्पादन कार्यवाही के अंतर्गत एक अपील पर राज्य आयोग द्वारा जारी आदेश के खिलाफ धारा 21 के तहत पुनर्विचार याचिका दायर करने के उपाय उपलब्ध नहीं हैं। धारा 21(बी) में निष्पादन कार्यवाही में राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय आयोग के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने का प्रावधान नहीं है।"
केस का नाम : शशिकांत रघुनाथ पाटिल बनाम पुटुबाई नरसिंह नायक (मृत)
केस नंबर : विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 5793 / 2020
कोरम : न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी