विवादित सम्पत्ति को छोड़कर कंप्रोमाइज डिक्री को पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-02-07 07:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस सम्पत्ति पर कोई विवाद नहीं है उसके लिए समझौता हुक्मनामे (कंप्रोमाइज डिक्री) के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने गैर-पंजीकृत कंप्रोमाइज डिक्री की स्वीकार्यता पर वादी द्वारा उठायी गयी आपत्तियों को सही ठहराया था। वादी ने बचाव पक्ष द्वारा कंप्रोमाइज डिक्री को साक्ष्य के तौर पर शामिल करने की मांग पर यह कहते हुए सवाल खड़े किये थे कि यह कंप्रोमाइज डिक्री पंजीकृत नहीं थी।

ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि डिक्री को रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 17 के प्रावधान के तहत पंजीकृत होना जरूरी है, इसलिए इसे साक्ष्य के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने इस निर्णय को सही ठहराया था।

अपील में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष निर्णय के लिए यह सवाल था कि क्या कंप्रोमाइज डिक्री को रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के तहत पंजीकृत करना जरूरी है या नहीं?

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने इस काननू के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा,

"किसी कोर्ट द्वारा जारी कंप्रोमाइज डिक्री सामान्यतया धारा 17(1)(बी) के तहत कवर होगी, लेकिन धारा 17 की उपधारा (2) उस डिक्री या आदेश को छोड़कर जो एक समझौते पर किया जाना है और सुलह वाली उस अचल सम्पत्ति पर, जो विवाद या मुकदमे का विषय होती है, अपवाद का प्रावधान करती है।

इस प्रकार धारा 17 की उपधारा (2)(VI) के तहत इस तरह की डिक्री या कोर्ट आदेश के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। उपधारा 2 के उपखंड VI में एक श्रेणी अपवाद का भी है यथा- 'एक डिक्री या आदेश को छोड़कर जो एक समझौते पर किया जाना है और सुलह वाली उस अचल सम्पत्ति पर, जो विवाद या मुकदमे का विषय होती है।'

इस प्रकार धारा 17(1)(बी) और धारा 17(2)(VI) को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट है कि वाद या मुकदमे वाली अचल सम्पत्ति से जुड़ी कंप्रोमाइज डिक्री को पंजीकरण की आवश्यकता होती है, हालांकि कोई भी डिक्री या अदालती आदेश को धारा 17(2)(VI) के आधार पर पंजीकरण से छूट प्राप्त है।"

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोर्ट ने उस प्रॉपर्टी पर कंप्रोमाइज डिक्री दी थी जिस पर विवाद थी, इसलिए यहां धारा 17(2)(VI) का विशेष उपबंध लागू नहीं होता और 04 अक्टूबर 1985 की कंप्रोमाइज डिक्री की पंजीकरण की आवश्यकता नहीं थी।

बेंच ने 'सोमदेव एवं अन्य बनाम रतीराम (2006)10 एससीसी 788' के मामले में दिये गये फैसले का भी उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि कंप्रोमाइज डिक्री सहित कोर्ट की सभी डिक्री एवं आदेश को वाद वाली सम्पत्तियों को अपवाद को छोड़कर पंजीकृत कराने की जरूरत नहीं होती है।

केस का नाम : मोहम्मद यूसुफ बनाम राजकुमार

केस नं. सिविल अपील नं. 800/2020

कोरम : न्यायमूर्ति अशोक भूषण एवं न्यायमूर्ति एम आर शाह


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