खुद को मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर की वारिस बताकर लाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका खारिज

Update: 2025-05-05 07:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 मई) को महिला द्वारा दायर वह याचिका खारिज की, जिसमें उसने खुद को अंतिम मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर द्वितीय के परपोते की विधवा बताते हुए लाल किले के स्वामित्व का दावा किया था।

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने सुल्ताना बेगम द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज कर दी।

चीफ जस्टिस खन्ना ने व्यंग्य करते हुए पूछा,

"सिर्फ लाल किला क्यों? फतेहपुर सीकरी को क्यों छोड़ा?"

खंडपीठ ने टिप्पणी की कि यह रिट याचिका पूरी तरह भ्रमित और असंगत है।

याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम ने दावा किया था कि 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरदस्ती उनसे लाल किले का स्वामित्व छीन लिया था। दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 2021 में यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि अदालत में आने में अत्यधिक देरी की गई।

इसके बाद दिसंबर, 2024 में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा।

बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें बहादुर शाह ज़फर द्वितीय के उत्तराधिकारी होने के नाते लाल किले की वैध उत्तराधिकारी माना जाना चाहिए और सरकार द्वारा किले पर कब्जा ग़ैरक़ानूनी है।

उन्होंने यह भी आग्रह किया था कि 1857 से अब तक भारत सरकार द्वारा किए गए कथित अवैध कब्जे के लिए उन्हें मुआवज़ा दिया जाए।

केस टाइटल: सुल्ताना बेगम बनाम भारत संघ

Tags:    

Similar News