"बंद लिफाफा क्यों?": सीजेआई रमाना ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल करने को फिर से खारिज किया
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमाना ने मुजफ्फरपुर शेल्टर मामले से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को बिहार राज्य की ओर से पेश वकील से कहा,
"कार्यवाही की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने की कोई जरूरत नहीं है।"
सीजेआई एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ बिहार की पत्रकार निवेदिता झा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर पटना हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए व्यापक प्रतिबंध को चुनौती दी गई है।
सीजेआई की टिप्पणी राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष कुमार द्वारा प्रस्तुत की गई प्रतिक्रिया के जवाब में आई। उन्होंने एक सीलबंद लिफाफे में कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करने की मांग की थी। उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य ने सीबीआई द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसरण में कार्यवाही की है।
सीजेआई ने पूछा,
"सीलबंद लिफाफा क्यों?"
तब राज्य के वकील ने अदालत को सूचित किया कि सीबीआई केवल अदालत के आदेशों के तहत सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल कर रही है।
सीजेआई ने कहा,
"मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है। मुझे लड़कियों के नाम से कोई सरोकार नहीं है। सिर्फ अधिकारियों के नाम से सरोकार है। इसका सीलबंद लिफाफे में होना जरूरी नहीं है। कार्यवाही की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में नहीं होनी चाहिए।"
उल्लेखनीय है कि सीजेआई ने हाल ही में 21 मार्च को पटना हाईकोर्ट की ओर से पेश वकील द्वारा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
सीजेआई एनवी रमाना ने टिप्पणी की थी,
"कोई सीलबंद लिफाफा न दें। इसे अपने पास रखें। मुझे कोई सीलबंद लिफाफा नहीं चाहिए।"
संबंधित घटनाक्रम में, जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने उसी दिन संकेत दिया कि वह MediaOne (मीडिया वन) मामले में "सीलबंद लिफाफा" प्रक्रिया की कानूनी वैधता पर विचार करेगी।
केस शीर्षक: निवेदिता झा बनाम बिहार राज्य, एसएलपी (सी) 2018 का 24978